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राज्यसभा में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को दी गई श्रद्धांजलि, सदन में रखा गया मौन

राज्यसभा में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को दी गई श्रद्धांजलि, सदन में रखा गया मौन

पूर्व राज्यपाल और राज्यसभा सदस्य सत्यपाल मलिक के निधन पर उच्च सदन में शोक व्यक्त किया गया। उपसभापति ने उनके प्रशासनिक और राजनीतिक योगदान को याद करते हुए उन्हें एक मुखर नेता बताया।

Satyapal Malik: राज्यसभा ने बुधवार को अपने पूर्व सदस्य और अनुभवी राजनेता सत्यपाल मलिक के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मलिक का निधन मंगलवार को नई दिल्ली के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद हुआ। वह 79 वर्ष के थे।

सदन की कार्यवाही की शुरुआत मौन श्रद्धांजलि से

राज्यसभा की बैठक की शुरुआत उपसभापति हरिवंश के संबोधन से हुई, जिसमें उन्होंने सत्यपाल मलिक के राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन पर प्रकाश डाला। उपसभापति ने कहा कि देश ने मलिक के रूप में एक बेहतर प्रशासक, एक उत्कृष्ट पूर्व सांसद और एक मुखर राजनीतिक नेता को खो दिया है। इसके बाद सदन में उपस्थित सभी सदस्यों ने कुछ पलों का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

राजनीतिक करियर की शुरुआत और सांसद के रूप में योगदान

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वह दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे और 1982 से 1989 तक उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व उच्च सदन में किया।

उन्होंने लोकसभा में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। मलिक ने नौवीं लोकसभा में अलीगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में सेवा दी। संसद में उनकी छवि एक स्पष्ट वक्ता और नीतिगत मुद्दों पर मुखर राय रखने वाले नेता के रूप में रही।

विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में भूमिका

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव उन्हें राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों तक लेकर गया। उन्होंने चार राज्यों में राज्यपाल का पद संभाला:

  • बिहार (2017)
  • जम्मू और कश्मीर (2018)
  • गोवा (2019)
  • मेघालय (2020)

इसके अलावा, उन्होंने ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी कुछ समय तक संभाला।

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल रहते हुए उन्होंने कई संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्ट और साहसिक बयान दिए थे। धारा 370 हटाए जाने के बाद के हालात में उनकी भूमिका और टिप्पणियां खास तौर पर चर्चा में रही थीं।

सामाजिक मुद्दों पर मुखर राय

मलिक का राजनीतिक जीवन केवल प्रशासन तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखी। किसानों के आंदोलन के समय उन्होंने खुले मंचों से केंद्र सरकार की आलोचना की और किसानों के पक्ष में आवाज बुलंद की। उनकी यही बेबाक शैली उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती थी। सार्वजनिक जीवन में उनका साफगोई से बात करना और जनता के मुद्दों पर बोलना उन्हें जनप्रिय बनाता था।

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