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तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा को UNSC ने दी मंजूरी, 9-16 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगा दौरा

तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा को UNSC ने दी मंजूरी, 9-16 अक्टूबर को नई दिल्ली में होगा दौरा

UNSC ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी को 9-16 अक्टूबर 2025 के लिए भारत दौरे की अस्थायी अनुमति दी। यह भारत और तालिबान के बीच उच्च-स्तरीय पहला कूटनीतिक संपर्क होगा और सुरक्षा व क्षेत्रीय मुद्दे चर्चा में आएंगे।

World Update: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तालिबान सरकार के अफ़ग़ान विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी को भारत दौरे के लिए अस्थायी यात्रा छूट प्रदान की है। 30 सितंबर 2025 को जारी बयान में कहा गया कि संकल्प 1988 (2011) के तहत स्थापित सुरक्षा परिषद समिति ने मुत्ताक़ी को 9 से 16 अक्टूबर 2025 तक नई दिल्ली की यात्रा की अनुमति दी है।

यह दौरा तालिबान के काबुल पर अगस्त 2021 में कब्ज़ा करने के बाद भारत के लिए उच्च-स्तरीय पहला कूटनीतिक संपर्क होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस यात्रा को काबुल और क्षेत्रीय शक्तियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना है।

भारत-तालिबान संबंधों में पहली बड़ी इंगेजमेंट

तालिबान के विदेश मंत्री की इस यात्रा से पहले भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच संपर्क बढ़ा है। 15 मई 2025 को विदेश मंत्री एस जयशंकर और मुत्ताक़ी के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। इस बातचीत को भारत की ओर से तालिबान के साथ पहली बड़ी इंगेजमेंट माना गया।

इससे पहले, जनवरी 2025 में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताक़ी की मुलाकात हुई थी। इसे 2021 के बाद कूटनीतिक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण बैठक माना गया। इस तरह की बैठकें दोनों देशों के बीच संवाद और समझ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

क्या है दौरे का मकसद 

तालिबान सरकार भारत की मान्यता नहीं रखती। इसके बावजूद, यह दौरा दोनों देशों के लिए राजनीतिक और सुरक्षा (security) दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत की रणनीति सावधानीपूर्ण है। बगराम एयरबेस और क्षेत्रीय सुरक्षा के मसलों पर भारत और तालिबान के बीच संभावित चर्चा हो सकती है।

भारत के लिए यह दौरा चुनौतीपूर्ण भी है, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन के साथ संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत को तालिबान के साथ संवाद में संतुलन बनाए रखना होगा।

सुरक्षा और प्रोटोकॉल की चुनौतियाँ

तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान सुरक्षा और प्रोटोकॉल (protocol) को लेकर स्पष्टता नहीं है। चूंकि भारत ने तालिबान को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है, इसलिए यह दौरा असाधारण स्थिति में हो रहा है।

भारत को सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो और किसी तरह की कूटनीतिक गलती न हो। साथ ही, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबावों को ध्यान में रखते हुए संवाद को सावधानीपूर्वक संचालित करना होगा।

संभावित मुद्दे और चर्चा

इस दौरे के दौरान संभावित चर्चा के मुद्दों में शामिल हो सकते हैं:

  • अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा और आतंकवाद (terrorism) से निपटना
  • क्षेत्रीय स्थिरता और सीमा सुरक्षा
  • बगराम एयरबेस और अन्य सैन्य रणनीति पर तालिबान की अपेक्षाएँ
  • भारत-अमेरिका और भारत-अफग़ानिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का संतुलन

इन बिंदुओं पर चर्चा करना दोनों देशों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि भारत को तालिबान के साथ संवाद में सावधानी बरतनी है, जबकि अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ संबंधों को बनाए रखना भी आवश्यक है।

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