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भारत में फिर हिली धरती: जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में महसूस किए गए भूकंप के झटके

भारत में फिर हिली धरती: जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में महसूस किए गए भूकंप के झटके

जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में रविवार रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। तीव्रता 3.1 और 3.4 रही। केंद्र 10 और 5 किलोमीटर गहराई पर स्थित था। कोई नुकसान नहीं हुआ।

Earthquake: देश के दो राज्यों जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भूकंप की तीव्रता 3.1 और अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी क्षेत्र में 3.4 मापी गई है। दोनों ही स्थानों पर भूकंप की गहराई 5 से 10 किलोमीटर के बीच रही। हाल के दिनों में भूकंप की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो चिंताजनक संकेत हैं।

जम्मू-कश्मीर में देर रात आया भूकंप

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ इलाके में रविवार और सोमवार की दरमियानी रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है।

भूकंप का केंद्र किश्तवाड़ जिले में धरती से लगभग 10 किलोमीटर गहराई में था। झटके हल्के थे लेकिन स्थानीय लोगों ने रात के समय इन्हें स्पष्ट रूप से महसूस किया। फिलहाल किसी नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसे हल्के स्तर का चेतावनी संकेत मान रहे हैं।

अरुणाचल प्रदेश में भी हिली धरती

इसी दिन रात करीब 10 बजकर 59 मिनट पर अरुणाचल प्रदेश में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि यह झटका ऊपरी सुबनसिरी जिले में आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 रही और इसका केंद्र धरती की सतह से केवल 5 किलोमीटर नीचे था।

भूकंप की तीव्रता मध्यम श्रेणी में थी, लेकिन चूंकि यह बेहद कम गहराई पर आया, इसलिए प्रभाव क्षेत्र में झटका स्पष्ट रूप से महसूस किया गया। राहत की बात है कि जानमाल का कोई नुकसान सामने नहीं आया है।

हाल के हफ्तों में देश के कई हिस्सों, विशेषकर उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत में बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर, हिमाचल प्रदेश, असम और मणिपुर जैसे इलाकों में भी हल्के से मध्यम तीव्रता के भूकंप सामने आए हैं।

भूकंप क्यों आते हैं?

पृथ्वी की सतह सात बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी होती है। ये प्लेटें लगातार अपनी जगह से खिसकती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे के ऊपर या नीचे खिसकती हैं, तो उनके बीच भारी ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह ऊर्जा जब बाहर निकलती है, तो धरती की सतह पर झटके के रूप में महसूस होती है। इसे ही भूकंप कहा जाता है।

टेक्टोनिक मूवमेंट जिन स्थानों पर अधिक सक्रिय होती है, वहां भूकंप की संभावना भी ज्यादा होती है। जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश ऐसे ही संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्रों में आते हैं।

रिक्टर स्केल क्या बताता है?

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है। 3.0 से 4.0 तीव्रता वाला भूकंप हल्का माना जाता है और आमतौर पर इससे बड़े नुकसान नहीं होते।

हालांकि, यदि यह अधिक गहराई पर नहीं हो और जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र में आए, तो झटका भय पैदा कर सकता है। 5.0 से अधिक तीव्रता के भूकंप में जानमाल का खतरा बढ़ जाता है।

 

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