22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। चार दिन की स्थिति के बाद, 10 मई को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक दोनों देशों के बीच युद्धविराम का एलान किया।
New Delhi: 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। इस हमले ने दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावना को और अधिक प्रबल कर दिया था।
लेकिन इसके बाद 10 मई को अचानक दोनों देशों ने सीजफायर का एलान किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे औपचारिक रूप से घोषित किया। तो आखिर यह कैसे हुआ? यहां हम 5 प्रमुख कारणों को समझते हैं, जिनकी वजह से पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े और सीजफायर की घोषणा की गई।
1. भारतीय वायुसेना का जोरदार हमला

9-10 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया। भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस-ए क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल कर रावलपिंडी के नूरखान, चकलाला और सरगोधा एयरबेस को निशाना बनाया। ये हमले पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय के नजदीक हुए थे, जिससे पाकिस्तान में घबराहट फैल गई। इसके बाद भारत ने PoK के जकोबाबाद, भोलारी और स्कार्दू एयरबेस को भी तबाह कर दिया। पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर इस प्रकार के हमलों ने पाकिस्तान को गंभीर स्थिति में डाल दिया।
2. पाकिस्तान में डर का माहौल
भारत के इस तगड़े पलटवार से पाकिस्तान के भीतर डर का माहौल बन गया। पाकिस्तान को यह चिंता सताने लगी कि भारत अगले चरण में उनके परमाणु ठिकानों को भी निशाना बना सकता है। इस डर ने पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए मजबूर किया, खासकर रावलपिंडी और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में।
3. पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद मांगी

पाकिस्तान के बढ़ते डर के बीच, उसने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई। पाकिस्तान को चिंता थी कि भारत उनका परमाणु ढांचा भी न निशाना बना ले। अमेरिका ने पहले से ही भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के साथ संपर्क बनाए रखा था। लेकिन जब परमाणु हथियारों की बात आई, तो अमेरिका भी हड़बड़ी में आ गया। अमेरिका ने तुरंत दोनों देशों से संघर्ष को रोकने की अपील की।
4. पाकिस्तान का DGMO भारत से संपर्क करता है
अमेरिका की दबाव के बाद, पाकिस्तान ने 10 मई की दोपहर को भारत से संपर्क करना शुरू किया। पाकिस्तान के रक्षा महानिदेशक (DGMO) मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को फोन किया। इस फोन कॉल में पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर की पेशकश की। यह घटनाक्रम युद्ध की ओर बढ़ते तनाव को शांत करने में एक महत्वपूर्ण कदम था।
5. भारत ने शर्तों पर सीजफायर स्वीकार किया

भारत ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर करने का निर्णय लिया, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी रखी। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में कोई भी आतंकवादी हमला भारत के लिए 'युद्ध की कार्रवाई' मानी जाएगी। इसके अलावा, सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया गया था, और भारत ने पाकिस्तान को यह अवसर दिया कि वह अपने आंतरिक मुद्दों को सुलझाए। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक कूटनीतिक वार्ता से इनकार कर दिया।
सीजफायर का अंतिम उद्देश्य
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच घोषित सीजफायर दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। पाकिस्तान की कायराना हरकतों के बावजूद, भारत ने अपनी शर्तों पर सीजफायर की पेशकश की। हालांकि, यह केवल एक अस्थायी राहत था, भारत ने अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा है। पाकिस्तान को यह मौका दिया गया है, लेकिन भविष्य में यदि कोई और आतंकवादी हमला हुआ तो उसे 'युद्ध' के रूप में लिया जाएगा।
सीजफायर और इसके परिणाम
यह सीजफायर भारत के लिए एक मजबूत संदेश था कि वह किसी भी प्रकार के हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान के लिए यह एक चेतावनी भी थी कि यदि उसने अपनी नीतियों को नहीं बदला तो भारत किसी भी कदम से पीछे नहीं हटेगा। अब इस सीजफायर के बाद दोनों देशों के रिश्तों में कुछ समय तक शांति बनी रह सकती है, लेकिन सभी की निगाहें पाकिस्तान की अगली कार्रवाइयों पर होंगी।
                                                                        
                                                                            












