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भारत-साइप्रस स्टॉक साझेदारी से स्टार्टअप्स को मिलेगा बल

भारत-साइप्रस स्टॉक साझेदारी से स्टार्टअप्स को मिलेगा बल

भारत और साइप्रस के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। इस पहल के तहत भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

स्टॉक एक्सचेंज: भारत और साइप्रस के बीच आर्थिक रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। दोनों देशों के स्टॉक एक्सचेंजों के बीच हुआ समझौता सिर्फ पूंजी बाजार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह द्विपक्षीय निवेश, तकनीकी सहयोग और वित्तीय अनुसंधान जैसे कई क्षेत्रों में नए अवसरों के द्वार खोलेगा।

एनएसई और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज में समझौता

भारत के प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच हुए इस समझौते से दोनों देशों की कंपनियों को एक-दूसरे के पूंजी बाजारों तक पहुंच मिल सकेगी। इसका मतलब है कि अब भारतीय कंपनियां साइप्रस में और साइप्रस की कंपनियां भारत में स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकेंगी। इससे पूंजी प्रवाह में वृद्धि होगी और निवेशकों को नई संभावनाएं मिलेंगी।

एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशीष कुमार चौहान ने इस समझौते को दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों में नया अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता न केवल निवेश को बढ़ाएगा, बल्कि यूरोपीय और भारतीय कंपनियों के बीच संवाद और साझेदारी को भी मजबूती देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस दौरा

यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जून को साइप्रस दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस से मुलाकात की। बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीक, समुद्री व्यापार, नवाचार और बैंकिंग सेक्टर में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में इस समझौते को रणनीतिक आर्थिक सहयोग की दिशा में बड़ा कदम बताया गया।

निवेश के लिए खुलेंगे नए द्वार

इस समझौते के तहत अब भारतीय निवेशकों को साइप्रस के बाजारों में निवेश का अवसर मिलेगा और साइप्रस के निवेशक भारत में पूंजी लगा सकेंगे। साइप्रस की प्रमुख निवेश फर्म बीएओ लिमिटेड ने घोषणा की है कि वह अपने फ्लैगशिप फंड से 10 करोड़ डॉलर की राशि भारत में निवेश करेगी। यह निवेश सार्वजनिक इक्विटी, उभरती तकनीकों और मेक इन इंडिया अभियान से जुड़ी परियोजनाओं में किया जाएगा।

इससे न केवल भारतीय कंपनियों को पूंजी मिलेगी, बल्कि साइप्रस की कंपनियों को भारत के तेजी से विकसित हो रहे बाजार में प्रवेश का अवसर मिलेगा।

यूरोप से भारत की आर्थिक कनेक्टिविटी होगी मजबूत

भारत और साइप्रस के बीच यह समझौता यूरोप के साथ भारत की आर्थिक भागीदारी को और गहरा करेगा। साइप्रस यूरोपियन यूनियन का सदस्य देश है और भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है। इस समझौते से भारतीय कंपनियों को यूरोपीय पूंजी और तकनीकी सहयोग तक सीधी पहुंच मिल सकेगी।

वहीं साइप्रस की कंपनियों को भारत की विशाल जनसंख्या, तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और विविध आर्थिक क्षेत्रों से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा।

स्टार्टअप और फिनटेक को मिलेगा नया मंच

दोनों देशों के पूंजी बाजारों के बीच सहयोग का सबसे अधिक लाभ स्टार्टअप और फिनटेक सेक्टर को मिलेगा। भारत में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या और साइप्रस की वित्तीय टेक्नोलॉजी में विशेषज्ञता मिलकर ऐसे स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला सकती है।

इस साझेदारी के माध्यम से भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक निवेशक मिलेंगे और साइप्रस की कंपनियों को भारत के बाजार में विस्तार का मंच मिलेगा।

डिजिटल भुगतान, ग्रीन ग्रोथ और बंदरगाह विकास पर भी ध्यान

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि भारत के डिजिटल भुगतान, नागरिक उड्डयन, पोर्ट और ग्रीन ग्रोथ सेक्टर में हो रहे तीव्र विकास से साइप्रस की कंपनियों को भारत में साझेदारी के असंख्य अवसर मिल सकते हैं। उन्होंने इस समझौते को एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ किया गया समझौता बताया।

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का प्रतीक

आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन चुका है। तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक की इकोनॉमी और मजबूत वित्तीय प्रणाली भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए पसंदीदा गंतव्य बना रही है। ऐसे में साइप्रस जैसे यूरोपीय देश से आर्थिक सहयोग भारत की वैश्विक रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।

 

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