आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी संगठनात्मक शक्ति और दलित समुदाय में अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए बड़े स्तर पर आयोजन किया।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में बड़ी रैली का आयोजन किया। यह रैली कांशीराम स्थल पर आयोजित हुई, जहां उन्होंने विपक्ष पर जमकर हमला बोला और दलित समाज को संगठित होने की अपील की। इस दौरान मायावती ने ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद और धार्मिक सौहार्द से जुड़े मामलों पर भी स्पष्ट रूप से अपनी राय व्यक्त की।
मायावती ने रैली में क्या कहा?
मायावती ने मंच से कहा कि किसी को देवी-देवताओं में दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजनीति को धार्मिक भावनाओं के आधार पर नहीं चलाना चाहिए और ‘आई लव मोहम्मद’ जैसे मामलों को लेकर सांप्रदायिक तनाव पैदा नहीं किया जाना चाहिए। बसपा सुप्रीमो ने कहा, "बीएसपी की सरकार बनाना बहुत जरूरी है। दलित समाज का वोट बांटने का काम हो रहा है। समाज के स्वार्थी लोगों से सावधान रहना होगा।" उन्होंने ईवीएम सिस्टम पर भी सवाल उठाए और कहा कि इसमें धांधली की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं।
मायावती ने सपा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संविधान को कुचला गया और बाबा साहेब अम्बेडकर को संसद में पहुंचने नहीं दिया गया। साथ ही उनका भारत रत्न का अधिकार भी रोका गया। मायावती ने आरोप लगाया कि सपा जब सत्ता में रहती है, तब कांशीराम और दलित हितों की अनदेखी की जाती है। उन्होंने कहा कि दलित समाज को जागरुक और संगठित रहना चाहिए, ताकि आरक्षण और समान अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
‘आई लव मोहम्मद’ मामला
यह विवाद यूपी के कानपुर से शुरू हुआ और धीरे-धीरे कई राज्यों में फैल गया। मामला बारावफात के मौके पर मुस्लिम समुदाय द्वारा लगाए गए बैनरों से जुड़ा है। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे आपत्तिजनक बताया और एफआईआर दर्ज कराई। मुस्लिम समुदाय का दावा है कि यह बैनर पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम और सम्मान जताने का तरीका था और इसमें किसी तरह की सांप्रदायिक हिंसा या भड़काने का उद्देश्य नहीं था। पुलिस ने कहा कि मामला केवल बैनर का नहीं, बल्कि अनधिकृत स्थान पर टेंट लगाने और धार्मिक पोस्टर फाड़ने से भी जुड़ा है।