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भारत-सिंगापुर सहयोग को मिलेगा नया आयाम, सौर ऊर्जा से डेटा कनेक्टिविटी तक 10 बड़े करार तय

भारत-सिंगापुर सहयोग को मिलेगा नया आयाम, सौर ऊर्जा से डेटा कनेक्टिविटी तक 10 बड़े करार तय

भारत और सिंगापुर इस सप्ताह 10 बड़े समझौते करेंगे। इनमें स्वच्छ ऊर्जा, डेटा कनेक्टिविटी, कौशल विकास और तकनीकी सहयोग शामिल है। समुद्र के नीचे केबल और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं भी चर्चा में हैं।

India - Singapore Relations: भारत और सिंगापुर अपने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए इस सप्ताह करीब 10 अहम समझौता ज्ञापनों (MoUs) को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं। इनमें उन्नत प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, कौशल विकास, डिजिटलीकरण और स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल है। इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और तकनीकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।

तीसरा भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (ISMR) का तीसरा चरण 13 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस उच्च-स्तरीय बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, सिंगापुर के छह मंत्रियों के साथ चर्चा करेंगे।

समुद्र के नीचे केबल से सौर ऊर्जा और डेटा कनेक्टिविटी

बैठक में सबसे महत्वाकांक्षी प्रस्तावों में से एक है भारत से सिंगापुर तक समुद्र के नीचे केबल बिछाने की योजना। इस केबल के जरिए न केवल सौर ऊर्जा पहुंचाई जाएगी, बल्कि यह डेटा कनेक्टिविटी का भी एक अहम माध्यम बनेगी। इससे ऊर्जा सहयोग के साथ डिजिटल कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा कदम साबित होगा।

ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात

भारत, सिंगापुर को ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात करने की योजना पर भी काम कर रहा है। यह पहल स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से निपटने की वैश्विक प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। इन प्रोजेक्ट्स से सिंगापुर की ऊर्जा जरूरतों को टिकाऊ तरीके से पूरा करने में मदद मिलेगी और भारत के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

कौशल विकास में नया सहयोग

दोनों देश विमानन, सेमीकंडक्टर और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में कौशल विकास से जुड़े समझौतों पर चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, एक नई योजना के तहत हर साल करीब 1 लाख भारतीयों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल भारत के युवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और उद्योग जगत की जरूरतों के अनुरूप कौशल प्रदान करने में मदद करेगी।

व्यापार और निवेश को बढ़ावा

सिंगापुर, आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत भी है। आगामी बैठक में सिंगापुर की कंपनियों के भारत में निवेश बढ़ाने और व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने के तरीकों पर भी चर्चा होगी।
पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा के दौरान दोनों देशों के रिश्तों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जाया गया था, जिसके बाद से सहयोग के नए अवसर खुल रहे हैं।

अमेरिका की टैरिफ नीति पर चर्चा

बैठक में वाशिंगटन की टैरिफ नीति और उसके वैश्विक व्यापार पर प्रभाव को लेकर भी विचार-विमर्श हो सकता है। दोनों देश इस पर रणनीति बना सकते हैं कि कैसे अमेरिकी शुल्क नीतियों के बीच अपने व्यापारिक हितों की रक्षा की जाए।

अब तक की ISMR यात्रा

पहली ISMR बैठक 17 सितंबर 2022 को नई दिल्ली में हुई थी, जिसमें सिंगापुर के चार वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए थे। दूसरी बैठक 26 अगस्त 2024 को सिंगापुर में आयोजित की गई थी। अब तीसरी बैठक में सहयोग के नए क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा और मौजूदा साझेदारियों को और गहरा किया जाएगा।

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