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भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने का मौका! जानिए 21-23 जुलाई का रहस्य

भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने का मौका! जानिए 21-23 जुलाई का रहस्य

सावन का महीना वैसे तो हर साल भक्तों के लिए पावन और पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन साल 2025 में सावन की विशेषता कुछ अलग ही नजर आने वाली है। इस साल सावन के महीने में 21, 22 और 23 जुलाई को लगातार तीन दिन ऐसे योग बन रहे हैं, जब शिव आराधना का फल कई गुना बढ़ जाता है। इन तीनों दिनों में शिव भक्त विशेष पूजा, जलाभिषेक और व्रत के जरिए भोलेनाथ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

21 जुलाई: दूसरा सावन सोमवार, भोलेनाथ के प्रिय दिन का पुण्य

21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार है। शिवभक्तों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। सावन सोमवार को शिवजी पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर व्रत करने की परंपरा बहुत पुरानी है। इस दिन मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन सोमवार को उपवास रखने और शिवलिंग पर जल अर्पित करने से जीवन के दुख, कष्ट और रोग समाप्त हो जाते हैं। शिवपुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार को व्रत करता है, उसे संतान सुख, विवाह योग और आर्थिक समृद्धि का वरदान मिलता है।

22 जुलाई: भौम प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग

21 जुलाई के तुरंत बाद 22 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत पड़ रहा है, जो मंगलवार को है। मंगलवार को आने वाला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष कहलाता है। यह संयोजन बहुत कम देखने को मिलता है और धार्मिक दृष्टि से इसे अत्यंत शुभ माना गया है।

भौम प्रदोष व्रत विशेष रूप से मंगल दोष, वैवाहिक जीवन की समस्याओं और पारिवारिक कलह से मुक्ति दिलाने वाला व्रत है। इस दिन शाम के प्रदोष काल में भगवान शिव की विशेष आरती, अभिषेक और व्रत का विशेष महत्व होता है।

इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

23 जुलाई: सावन शिवरात्रि का पर्व, कांवड़ियों का समर्पण दिवस

सावन का सबसे महत्वपूर्ण पर्व शिवरात्रि इस बार 23 जुलाई को पड़ रहा है। यह दिन शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ी रात मानी जाती है। शिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन की रात कहा जाता है।

इस दिन लाखों की संख्या में कांवड़िए देशभर से जल लेकर भगवान शिव के मंदिरों तक पहुंचते हैं और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। कई भक्त इस दिन उपवास रखकर पूरी रात जागरण और शिव की कथा सुनते हैं।

सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व इस कारण भी है क्योंकि जो लोग पूरे महीने शिव आराधना नहीं कर पाते, वे केवल इस एक दिन जलाभिषेक कर सावन भर के पूजन का फल प्राप्त कर सकते हैं।

लगातार तीन दिन का दुर्लभ योग

धार्मिक पंचांग के अनुसार, 21 जुलाई को सोमवार का व्रत, 22 को प्रदोष और 23 को शिवरात्रि  ये तीनों दिन मिलकर एक ऐसा दुर्लभ संयोग बना रहे हैं, जो बरसों में एक बार आता है। लगातार तीन दिन भगवान शिव की आराधना का योग बनना किसी पुण्य अवसर से कम नहीं है।

तीनों दिन व्रत और शिव पूजन करने वाले भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन तीन दिनों में शिव को जल, बेलपत्र, धतूरा और भस्म चढ़ाकर उपासना करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

देशभर में तैयारियां जोरों पर

सावन के इन तीन दिनों को लेकर देश के तमाम शिव मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कांवड़ यात्रा अपने चरम पर होगी और हरिद्वार, वाराणसी, उज्जैन, देवघर जैसे पवित्र स्थानों पर लाखों की संख्या में शिवभक्त उमड़ेंगे।

पंडाल, भजन संध्या, शिव महिमा की कथाएं और रुद्राभिषेक जैसे आयोजन इन दिनों जगह-जगह होंगे। मंदिरों में फूलों से सजावट, विशेष आरती और रात्रि जागरण के कार्यक्रम भी होंगे।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार क्या करें तीनों दिन

21 जुलाई को शिव को कच्चा दूध, बेलपत्र और गंगाजल से स्नान कराएं। ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करते रहें।
22 जुलाई को प्रदोष काल में दीपक जलाएं, शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करें और प्रदोष व्रत कथा सुनें।
23 जुलाई को दिनभर व्रत रखकर रात को शिवरात्रि जागरण करें, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं।

इन तीन दिनों में पूजा का महत्व बढ़ा

इन लगातार तीन दिनों में शिव आराधना का जो पुण्य फल प्राप्त होता है, वह सामान्य दिनों की पूजा से कई गुना अधिक माना गया है। धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि जब सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि एक ही सप्ताह में या लगातार आते हैं, तब शिव की कृपा विशेष रूप से भक्तों पर बरसती है।

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