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खरीफ सीजन में बढ़ी उर्वरकों की मांग, अप्रैल-जून में 9.74 लाख टन DAP का हुआ आयात

खरीफ सीजन में बढ़ी उर्वरकों की मांग, अप्रैल-जून में 9.74 लाख टन DAP का हुआ आयात

भारत में खेती-किसानी का सीजन यानी खरीफ 2025 अब रफ्तार पकड़ रहा है। इस बार देश में अनुकूल मॉनसून और बढ़ते बुवाई क्षेत्र ने उर्वरकों की मांग को भी नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इसी जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार ने अप्रैल से जून 2025 की पहली तिमाही में डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का आयात तेज कर दिया है।

राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को बताया कि भारत ने इस तिमाही में कुल 9.74 लाख टन DAP का आयात किया है। इसमें अप्रैल में 2.89 लाख टन, मई में 2.36 लाख टन और जून में सबसे अधिक 4.49 लाख टन आयात हुआ।

बढ़ रही है उर्वरकों की मांग

राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि इस बार खरीफ सीजन में उर्वरकों की मांग पिछले साल के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। इसकी प्रमुख वजह दो हैं — एक, मॉनसून इस बार अनुकूल है और दूसरा, फसलों की बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है।

बढ़ती मांग के चलते सरकार ने देश में उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए समय से पहले तैयारियां शुरू कर दी हैं। यही वजह है कि सिर्फ तीन महीनों में 9.74 लाख टन DAP का आयात किया गया है।

पिछले वर्षों में कितना हुआ था आयात

सरकार ने संसद में बीते कुछ सालों का भी आंकड़ा साझा किया, जिससे साफ होता है कि DAP के आयात में धीरे-धीरे कमी आ रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 45.69 लाख टन DAP आयात हुआ, जबकि:

  • 2023-24 में: 55.67 लाख टन
  • 2022-23 में: 65.83 लाख टन
  • 2021-22 में: 54.62 लाख टन
  • 2020-21 में: 48.82 लाख टन

इन आंकड़ों से साफ है कि सरकार धीरे-धीरे घरेलू उत्पादन और रणनीतिक समझौतों के जरिए आयात पर निर्भरता घटाने की दिशा में काम कर रही है।

सब्सिडी नीति पर दी गई जानकारी

मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार अप्रैल 2010 से न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (NBS) नीति पर काम कर रही है। इस नीति के तहत पोषक तत्वों की मात्रा के आधार पर सब्सिडी तय की जाती है, जिससे किसानों को सही दाम पर उर्वरक मिल सके।

DAP जैसे फॉस्फेटिक और पोटाशिक उर्वरक 'ओपन जनरल लाइसेंस' के तहत आते हैं। इसका मतलब है कि उर्वरक कंपनियां बाजार की मांग के अनुसार आयात कर सकती हैं और सरकार सब्सिडी का भुगतान करती है।

अंतर को आयात से पूरा किया जा रहा

देश में जितनी उर्वरक की मांग है, उसका पूरा उत्पादन देश में नहीं हो पाता। इसलिए सरकार अंतर को आयात के जरिए पूरा करती है।

राज्य मंत्री ने बताया कि भू-राजनीतिक हालात को देखते हुए सरकार और उर्वरक कंपनियां यह सुनिश्चित कर रही हैं कि सप्लाई चेन में किसी तरह की बाधा न आए। इसके लिए कंपनियों ने DAP उत्पादन वाले देशों के साथ दीर्घकालिक करार किए हैं, ताकि भारत को समय पर और पर्याप्त मात्रा में उर्वरक मिलता रहे।

यूरिया के आयात पर भी नजर

केवल DAP ही नहीं, बल्कि यूरिया जैसे अन्य उर्वरकों का भी आयात भारत के लिए अहम है। सरकार ने इसके आंकड़े भी साझा किए।

  • 2024-25 में: 56.47 लाख टन
  • 2023-24 में: 70.42 लाख टन
  • 2022-23 में: 75.80 लाख टन
  • 2021-22 में: 91.36 लाख टन
  • 2020-21 में: 98.28 लाख टन

इन आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि यूरिया के मामले में भी भारत धीरे-धीरे आयात पर निर्भरता कम करने की ओर बढ़ रहा है।

कंपनियों की तैयारी भी पूरी

DAP और यूरिया जैसे उर्वरकों की सप्लाई बाधित न हो, इसके लिए कंपनियां पहले से उत्पादन और आयात की योजना पर काम कर चुकी हैं। खासकर डीएपी की सप्लाई बनाए रखने के लिए कुछ भारतीय कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय स्रोतों के साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट किए हैं।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगर किसी वैश्विक संकट या सप्लाई चेन में अड़चन आती है, तो भी भारत को उर्वरक की उपलब्धता में दिक्कत न हो।

किसानों तक पहुंचा रही है सरकार

सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि खाद की बुकिंग, ट्रांसपोर्ट और वितरण की व्यवस्था को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे किसानों को समय पर खाद मिल सके। राज्यों के साथ मिलकर केंद्र सरकार उर्वरक वितरण को नियंत्रित कर रही है ताकि बुवाई के समय किसी क्षेत्र में संकट न हो।

इस साल खरीफ की तैयारी के तहत सरकार का फोकस साफ है  मॉनसून का लाभ उठाकर खेती को आगे बढ़ाना और किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराना। DAP के ताजा आयात आंकड़े इसी योजना की अहम कड़ी हैं। 

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