ओडिशा की बी.एड छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न के विरोध में आत्मदाह करने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने इसे शर्मनाक बताते हुए महिलाओं-बच्चियों के सशक्तिकरण के उपाय मांगे हैं।
Odisha: ओडिशा के बालासोर में बी.एड छात्रा द्वारा आत्मदाह के मामले ने देश को झकझोर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर केंद्र और अन्य पक्षों से सुझाव मांगे हैं। अदालत ने कहा कि अब समय आ गया है कि स्कूली बच्चियों, गृहणियों और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ठोस और असरदार कदम उठाए जाएं।
बालासोर की घटना पर सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के बालासोर में एक 20 वर्षीय बी.एड छात्रा द्वारा आत्मदाह किए जाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। छात्रा ने अपने कॉलेज के एचओडी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। कॉलेज प्रशासन की निष्क्रियता से निराश होकर छात्रा ने आत्मदाह कर लिया, जिसके बाद इलाज के दौरान एम्स भुवनेश्वर में उसकी मौत हो गई।
कोर्ट ने मांगे सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्यों और संबंधित पक्षों से पूछा है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, स्कूली छात्राओं और गृहणियों को कैसे सुरक्षित और सशक्त बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि हमें इस दिशा में ठोस और प्रभावी पहल करनी होगी ताकि इसका असर जमीन पर दिखे।
पीड़िता ने की थी हेल्पलाइन पर कॉल, नहीं मिली मदद
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पावनी ने बताया कि पीड़िता ने हेल्पलाइन पर कॉल किया था, लेकिन उसे किसी तरह की मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि यह महज एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं बल्कि “संस्थागत हत्या” है, क्योंकि सिस्टम ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।
कानून की जानकारी का अभाव, जागरूकता की कमी
पावनी ने कोर्ट को बताया कि देश में बड़ी संख्या में महिलाएं आज भी उपलब्ध कानूनों और शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रियाओं से अनजान हैं। ऑनलाइन कंप्लेंट मैकेनिज्म की जानकारी न होने के कारण वे मदद नहीं ले पातीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कानूनी अधिकारों और सिस्टम का उपयोग करने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
यौन अपराधियों का नेशनल डेटाबेस, लेकिन उपयोग नहीं हो रहा
सरकारी पक्ष ने अदालत को बताया कि यौन अपराधियों का नेशनल डेटाबेस तैयार किया गया है। हालांकि, पावनी ने कोलकाता लॉ कॉलेज के एक रेप केस का उदाहरण देते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ पहले से 11 शिकायतें थीं, लेकिन फिर भी उसे कॉलेज में रखा गया। यदि डेटाबेस सार्वजनिक होता तो इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता था।
अदालत को यह भी बताया गया कि जब महिलाएं उत्पीड़न की शिकायत लेकर हेल्पलाइन पर कॉल करती हैं तो उन्हें सही पुलिस सहायता के बजाय 'मॉरल पुलिसिंग' का सामना करना पड़ता है।
देश भर में महिला सुरक्षा की चिंताजनक तस्वीर
याचिका में बताया गया कि देश भर में लगभग 17,563 पुलिस स्टेशन हैं, लेकिन इनमें से केवल 3,256 ही विशेष महिला पुलिस स्टेशन हैं। रेलवे स्टेशनों की संख्या 7,863 है, लेकिन केवल 800 स्टेशनों पर ही CCTV कैमरे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं विशेष रूप से असुरक्षित हैं और उन्हें तत्काल सुरक्षा व कानूनी मदद की जरूरत है।