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Supreme Court Flag Case: तिरंगे में छेड़छाड़ का आरोप, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

Supreme Court Flag Case: तिरंगे में छेड़छाड़ का आरोप, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

तिरंगे में चुनाव चिन्ह लगाने पर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि इससे राष्ट्रीय गौरव अपमान होता है। कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य नहीं माना।

Supreme Court Flag Case: कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के झंडे को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता का आरोप था कि राजनीतिक दल तिरंगे जैसे दिखने वाले झंडों पर अपने चुनाव चिन्ह लगाकर राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का उल्लंघन कर रहे हैं।

याचिका का आधार: तिरंगे के स्वरूप से छेड़छाड़

यह याचिका महाराष्ट्र निवासी संजय भीमशंकर थोबड़े ने दायर की थी। उनका तर्क था कि कुछ राजनीतिक पार्टियां तिरंगे की तरह दिखने वाले झंडे बनाकर उस पर अपना पार्टी चिन्ह लगाती हैं। यह राष्ट्रीय ध्वज के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ है और राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के खिलाफ है। याचिका में विशेष रूप से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के झंडों का उल्लेख किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: यह परंपरा स्वतंत्रता से पहले की

मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की बेंच में हुई जिसमें चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया शामिल थे। याचिकाकर्ता कोर्ट में स्वयं उपस्थित हुए और उन्होंने अपनी याचिका पर जोर दिया।

चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यह प्रथा कब से चल रही है। इस पर याचिकाकर्ता कोई स्पष्ट तिथि नहीं दे सके लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस के झंडे में तिरंगे का इस्तेमाल है जिसमें पार्टी का चिन्ह भी होता है।

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल स्वतंत्रता से पहले से ही इस तरह के झंडों का प्रयोग कर रहे हैं और यह कोई नई बात नहीं है। कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।

कानून का दायरा और व्याख्या

राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 का उद्देश्य भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों जैसे कि ध्वज, संविधान, और राष्ट्रगान की गरिमा बनाए रखना है। इस कानून के तहत किसी भी प्रकार से राष्ट्रीय ध्वज का अपमान दंडनीय अपराध है। लेकिन इस कानून में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि तिरंगे की शैली में झंडा बनाकर उस पर प्रतीक चिन्ह लगाना स्वतः अपराध है या नहीं।

इस बिंदु पर सुप्रीम कोर्ट का रुख यह रहा है कि जब तक राष्ट्रीय ध्वज का सीधे तौर पर अनादर नहीं होता या उसकी गरिमा को ठेस नहीं पहुंचती, तब तक इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकती। राजनीतिक दलों के झंडे, भले ही वे तिरंगे से मिलते-जुलते हों, उन्हें सीधे तौर पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं माना जाता।

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