भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को दबाव का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि किसान हितों की बात करने के कारण इस्तीफा लिया गया, साथ ही नीतिश कुमार के उपराष्ट्रपति बनने की संभावना जताई।
New Delhi: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे की खबर सामने आते ही इंटरनेट मीडिया पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अलग-अलग राजनीतिक विश्लेषक, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान नेताओं ने इस फैसले के पीछे कई कारणों की संभावना जताई है। इन्हीं में एक नाम है भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का, जिन्होंने इस मामले में बड़ा दावा किया है।
'धनखड़ पर डाला गया दबाव'
राकेश टिकैत ने कहा कि उपराष्ट्रपति जैसा उच्च constitutional पद कोई सामान्य कारण से नहीं छोड़ा जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। टिकैत के अनुसार, यह स्वैच्छिक फैसला नहीं है बल्कि इसके पीछे राजनीतिक दबाव है। उन्होंने कहा कि “उपराष्ट्रपति का पद कोई ऐसे ही नहीं छोड़ता। हो सकता है उन पर कोई दबाव रहा हो, तभी इस्तीफा दिया गया हो।”
धनखड़ को बताया किसान और जाट नेता
टिकैत ने इस बात पर भी जोर दिया कि जगदीप धनखड़ केवल एक संवैधानिक पदाधिकारी नहीं हैं, बल्कि वह किसान और जाट समुदाय से भी जुड़ाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि “धनखड़ किसान और जाट समाज के प्रतिनिधि हैं। जाट तो मरता हुआ भी अपनी जमीन किसी को नहीं देता, वह जमीन मरने के बाद ही बच्चों के नाम होती है। ऐसा व्यक्ति यूं ही इस्तीफा नहीं देता।”
बीमारी की अटकलों पर भी उठाया सवाल
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर यदि कोई स्वास्थ्य कारण बताया जा रहा है, तो टिकैत ने उस पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, तो उनके स्वास्थ्य की स्थिति से संबंधित चिकित्सकीय दस्तावेज सार्वजनिक किए जाने चाहिए। “यदि बीमारी की बात है, तो मेडिकल रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए”, टिकैत ने यह कहते हुए पारदर्शिता की मांग की।
किसानों की आवाज उठाने का परिणाम?
भाकियू प्रवक्ता का यह भी कहना है कि जगदीप धनखड़ ने हाल ही में संसद में किसानों की स्थिति को लेकर आवाज उठाई थी। उन्होंने कृषि मंत्री को ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की वास्तविक स्थिति बताई थी। संभव है कि किसान हित की बात करने की वजह से ही उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया हो। टिकैत ने कहा, “गांव के लोग सरकार की नीतियों से नाराज हैं। किसान की हालत बेहद खराब है। शायद यही नाराजगी उनके इस्तीफे का कारण बनी हो।”