बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही सभी 243 सीटों पर सियासी समीकरण बनने लगे हैं। इनमें से कुढ़नी विधानसभा सीट हमेशा से सुर्खियों में रही है। यह सीट कई बार भाजपा (BJP), राजद (RJD), जदयू (JDU) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक घमासान का केंद्र रही है।
कुढ़नी: बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और इसे विधानसभा क्षेत्र संख्या 93 के रूप में जाना जाता है। यह सामान्य सीट है, यानी यह अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित नहीं है। क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस हैं।
कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र, मुजफ्फरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता कर रहे हैं, जो दिसंबर 2022 के उपचुनाव में निर्वाचित हुए थे। इससे पहले, 2020 में राष्ट्रीय जनता दल के अनिल कुमार साहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को महज 712 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी।
कुढ़नी विधानसभा सीट का महत्व
कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र बिहार के मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इसका निर्वाचन क्षेत्र संख्या 93 है। यह सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां का राजनीतिक इतिहास दर्शाता है कि पिछले तीन दशकों में कई दलों ने बारी-बारी से जीत दर्ज की है। यही कारण है कि 2025 के चुनाव में भी सभी बड़ी पार्टियाँ इसे अपने पाले में करने के लिए पूरा जोर लगाएंगी।
फिलहाल कुढ़नी सीट से भाजपा विधायक केदार प्रसाद गुप्ता प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने दिसंबर 2022 में हुए उपचुनाव में जदयू उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को हराकर जीत दर्ज की थी। गुप्ता ने यह जीत 3,632 वोटों के अंतर से हासिल की थी।
2020 विधानसभा चुनाव का नतीजा
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में यह सीट राजद के खाते में गई थी। राजद उम्मीदवार अनिल कुमार साहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को 712 मतों से हराया था। उस चुनाव में अनिल कुमार साहनी को 78,549 वोट (40.23%) मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी गुप्ता को 77,837 वोट (39.86%) प्राप्त हुए। यह नतीजा साफ दर्शाता है कि यहां का चुनाव बेहद करीबी होता है और छोटे वोटों का अंतर भी हार-जीत तय कर सकता है।
- 2015 में, भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने जदयू प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह को 11,570 मतों से हराकर जीत हासिल की थी।
- 2010 और 2005 में यह सीट जदयू के मनोज सिंह कुशवाहा के नाम रही।
- 2000 और 1995 में राजद के बसावन प्रसाद भगत ने यहां जीत दर्ज की।
उससे पहले 1970 और 80 के दशक में यह सीट कई बार जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच घूमती रही। इतिहास बताता है कि कुढ़नी सीट पर कोई भी दल लंबे समय तक लगातार दबदबा बनाए रखने में सफल नहीं रहा है।
कुढ़नी की जनसांख्यिकी और मतदाता समीकरण
2020 के आंकड़ों के मुताबिक, कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,04,244 मतदाता थे। इनमें 1,60,415 पुरुष और 1,43,824 महिला मतदाता शामिल थे। वहीं 2015 में कुल मतदाताओं की संख्या 2,65,669 थी। यह लगातार बढ़ता आंकड़ा दर्शाता है कि यहां युवा और नए वोटर चुनाव के परिणाम में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
कुढ़नी विधानसभा मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है। 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार राज भूषण चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी को 2.34 लाख वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी। यह परिणाम कुढ़नी विधानसभा में भी भाजपा के पक्ष में माहौल बना सकता है। हालांकि, राजद और जदयू का भी इस क्षेत्र में मजबूत आधार है, जिससे मुकाबला रोचक होगा।
2025 के लिए संभावित समीकरण
- भाजपा (BJP): मौजूदा विधायक होने का फायदा और लोकसभा चुनाव की सफलता उनके पक्ष में जा सकती है।
- राजद (RJD): 2020 की जीत से उनका आत्मविश्वास मजबूत है। यादव और मुस्लिम वोट बैंक उनका मुख्य आधार है।
- जदयू (JDU): 2010 और 2015 की सफलता दोहराने की कोशिश करेगी, हालांकि गठबंधन की स्थिति उनके प्रदर्शन पर असर डालेगी।
- अन्य दल और निर्दलीय: अतीत में रालोसपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने हजारों वोट हासिल किए हैं, जो परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।