पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भारत के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए अपनी बात रखी और कहा कि वे शांति चाहते हैं; साथ ही उन्होंने मई के घटनाक्रम और अन्य विषयों का जिक्र भी किया।
World News: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खी देखने को मिली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने भाषण में भारत पर आरोप लगाते हुए शांति की बात की, जिस पर भारत ने करारा जवाब दिया। भारत ने साफ कहा कि अगर पाकिस्तान वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे आतंकवाद का समर्थन बंद करना होगा और भारत में वांछित आतंकवादियों को तुरंत सौंपना होगा।
भारत की ओर से यह जवाब संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने दिया। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बयान को "दिखावटी" करार दिया और कहा कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में भारी अंतर है।
शहबाज शरीफ का भाषण और भारत की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में दावा किया कि उनका देश भारत के साथ शांति चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए भारत और पाकिस्तान को मिलकर काम करना चाहिए। हालांकि, भारत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पाकिस्तान का वास्तविक चेहरा आतंकवाद को बढ़ावा देने में है। पेटल गहलोत ने कहा:
अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सचमुच ईमानदार हैं, तो उन्हें तुरंत सभी आतंकवादी शिविर बंद करने चाहिए। भारत में वांछित आतंकवादियों को पाकिस्तान से सुरक्षित पनाह नहीं मिलनी चाहिए, बल्कि उन्हें भारत को सौंप देना चाहिए।
भारत ने दिखाया पाकिस्तान का असली चेहरा
भारतीय प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के दोहरे रवैये की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का राजनीतिक और सार्वजनिक विमर्श नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता से भरा हुआ है। ऐसे में पाकिस्तान का यह दावा कि वह शांति चाहता है, पूरी तरह से दिखावा है। गहलोत ने कहा, विडंबना यह है कि जो देश नफरत और आतंकवाद की विचारधारा को पोषित करता है, वही यहां आस्था और शांति पर उपदेश देता है। पाकिस्तान को आईना देखने की जरूरत है, लेकिन शायद बहुत देर हो चुकी है।
भारत ने पाकिस्तान को यह भी चेतावनी दी कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकवादी और उनके प्रायोजक दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार हैं और उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। गहलोत ने कहा, हम परमाणु ब्लैकमेल की आड़ में आतंकवाद को पनपने की अनुमति नहीं देंगे। भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति पर कायम है।
द्विपक्षीय मुद्दों पर भारत का रुख
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फिर दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी लंबित मुद्दा केवल द्विपक्षीय वार्ता के जरिए ही हल किया जाएगा। इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं हो सकती। यह भारत की लंबे समय से चली आ रही राष्ट्रीय नीति है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। टूटे रनवे और जले हुए हैंगर पाकिस्तान की जीत नहीं भारत ने पाकिस्तान द्वारा किए गए कुछ दावों पर भी जवाब दिया। दरअसल, पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसके सैन्य ठिकानों पर भारतीय कार्रवाई से नुकसान हुआ था, लेकिन इसे वह अपने लिए "जीत" बताने की कोशिश कर रहा है।
इस पर गहलोत ने तीखे शब्दों में कहा. अगर टूटे हुए रनवे और जले हुए हैंगर जीत की निशानी हैं, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है। सच्चाई यह है कि अतीत की तरह ही पाकिस्तान भारत में निर्दोष नागरिकों की मौत का जिम्मेदार है। भारत ने सिर्फ अपने नागरिकों की सुरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल किया है।