रूस ने इन दिनों यूक्रेन के खिलाफ अपनी 'वार पॉलिसी' में बड़ा बदलाव किया है। इसी बीच, यूक्रेन के शीर्ष सैन्य कमांडर का कहना है कि इस बदलाव के चलते यूक्रेन में ‘फ्रंट लाइन’ (युद्ध रेखा) का दायरा लगभग 1,250 किलोमीटर तक बढ़ गया है।
मॉस्को: रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपनी युद्ध रणनीति में हाल ही में बड़ा बदलाव किया है। इसके चलते यूक्रेन की फ्रंट लाइन यानी युद्ध रेखा लगभग 1,250 किलोमीटर तक बढ़ गई है। यूक्रेन के शीर्ष सैन्य कमांडर जनरल ओलेक्सेंडर सिर्स्की के अनुसार, इस बदलाव से कीव की सुरक्षा और भी मजबूत हो गई है। वहीं, रूसी सेना अब बड़े पैमाने के आक्रमण की बजाय छोटे हमलावर समूहों (Small Assault Groups) को यूक्रेनी क्षेत्रों में भेज रही है।
युद्ध रेखा में 200 किलोमीटर की वृद्धि
सिर्स्की ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में संपर्क रेखा लगभग 200 किलोमीटर बढ़ गई है। यूक्रेनी सेना अब रूस की बड़ी सेना के खिलाफ हर दिन औसतन 160 से 190 मोर्चों पर मुकाबला कर रही है। उन्होंने कहा कि गर्मियों की शुरुआत से ही रूसी सेना की रणनीति बदल गई है। अब वे बड़े पैमाने पर हमलों की बजाय छोटे-छोटे हमलावर समूहों को तैनात कर रहे हैं। ये समूह अग्रिम पंक्ति में घुसकर यूक्रेनी आपूर्ति नेटवर्क और सैन्य गतिविधियों को बाधित करते हैं।
सिर्स्की ने यह भी बताया कि हाल की यूक्रेनी कार्रवाइयों में रूसी ठिकानों के खिलाफ 168 वर्ग किलोमीटर भूमि पर पुनः नियंत्रण हासिल किया गया है। हालांकि, घटनाओं की स्वतंत्र पुष्टि अभी नहीं हो सकी है।
ग्रामीण इलाकों में रूसी सेना की रणनीति
रूसी सेना ने ड्रोन, मिसाइलें, तोपखाने और विनाशकारी ग्लाइड बमों का उपयोग कर यूक्रेन को घेरने की कोशिश की है। वे ग्रामीण इलाकों में यूक्रेनी बलों को धीरे-धीरे पीछे धकेलने में सफल रहे हैं, लेकिन शहरों में कब्जा करने में असफल रहे हैं। सिर्स्की ने बताया कि रूस लगभग चार से छह सैनिकों वाले छोटे-छोटे आक्रमण समूहों को बड़ी संख्या में तैनात कर रहा है। ये समूह अग्रिम पंक्ति में घुसकर हमले करते हैं और यूक्रेनी क्षेत्रों की आपूर्ति और सैन्य संचालन को बाधित करते हैं।
इस बीच, बेलारूस ने रूस के कब्जे वाले यूक्रेनी क्षेत्रों को ऊर्जा आपूर्ति करने के लिए एक नया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant) स्थापित करने का प्रस्ताव पेश किया है। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक में इस योजना पर चर्चा की।
लुकाशेंको ने कहा कि जरूरत पड़ने पर यह संयंत्र यूक्रेन के खेरसॉन, ज़ापोरिज़्ज़िया, लुहान्स्क और दोनेत्स्क में रूस के नियंत्रण वाले क्षेत्रों को ऊर्जा आपूर्ति कर सकता है। पुतिन ने इस विचार का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि रूस इस संयंत्र के लिए वित्तीय मदद करेगा या नहीं।
बेलारूस ने नवंबर 2020 में अपना पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र ‘स्ट्रावेट्स परमाणु ऊर्जा संयंत्र’ स्थापित किया था। इस संयंत्र का निर्माण रूस की स्टेट एटोमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ‘रोसाटॉम’ ने मास्को द्वारा दिए गए 10 अरब अमेरिकी डॉलर के ऋण से किया था।