सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई को लेकर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज की टिप्पणी पर विवाद गहराता जा रहा है। इस बार भीम आर्मी के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने उन पर कड़ा हमला बोला है।
नई दिल्ली: मशहूर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी.आर. गवई को लेकर विवादित टिप्पणी की। अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि जब सारे काम भगवान ही कर रहे हैं तो फिर आप कुर्सी पर क्यों बैठे हैं। उनके इस बयान पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने कड़ा प्रहार किया। आज़ाद ने कहा कि यह बयान साफ दिखाता है कि अधर्म के ठेकेदार अब धर्म की आड़ में नफरत और हिंसा का कारोबार चला रहे हैं।
अनिरुद्धाचार्य का विवादित बयान
अनिरुद्धाचार्य ने खजुराहो के एक मंदिर की मूर्ति को लेकर CJI बीआर गवई की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, जब सब काम भगवान ही कर लेंगे तो आप कुर्सी पर क्यों बैठे हैं? आपको जज इसलिए बनाया गया है कि आप न्याय करें। भगवान चाहें तो हिरण्यकश्यप की छाती फाड़ सकते हैं और रावण का वध भी कर सकते हैं।
यहीं नहीं, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई जज मुसलमानों के खिलाफ टिप्पणी करे तो क्या यह स्वीकार्य होगा? उनका यह बयान तेजी से वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई।
चंद्रशेखर आजाद का पलटवार
इस विवादित बयान के बाद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लंबा पोस्ट लिखते हुए अनिरुद्धाचार्य की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, देश का सर्वोच्च न्यायिक पद सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नहीं बल्कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) कहा जाता है। ऐसे सम्मानित पद पर आसीन न्यायमूर्ति बीआर गवई साहब के खिलाफ अनिरुद्धाचार्य का बयान उसकी जातिवादी और घटिया सोच को दर्शाता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश को खुलेआम धमकी देना संविधान और न्यायपालिका पर सीधा हमला है।
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि आज के समय में कुछ तथाकथित बाबा और कथावाचक धर्म की आड़ में नफरत और हिंसा का कारोबार कर रहे हैं।उन्होंने लिखा, बाबा साहेब अंबेडकर ने पहले ही चेताया था कि अगर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। आज वही सच साबित हो रहा है। जहां कुछ लोग खुद को संविधान से ऊपर साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि अनिरुद्धाचार्य जैसे लोगों के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उनके अनुसार, जो लोग संविधान विरोधी और जातिवादी भाषा बोलते हैं, उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिए।