बिहार में पिछले दो दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार को खत्म हो गई है। राज्यभर के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत जूनियर डॉक्टर अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर बुधवार (17 सितंबर 2025) से हड़ताल पर थे।
पटना: बिहार में पिछले दो दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल आखिरकार खत्म हो गई है। शुक्रवार से सभी जूनियर डॉक्टर ओपीडी में अपनी सेवाएं देने लौट आए हैं। इस हड़ताल में पीएमसीएच, एनएमसीएच सहित राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर शामिल थे। हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
जेडीयू की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि जूनियर डॉक्टरों को उनकी मांगों पर लिखित आश्वासन दिया गया है। इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त करने का फैसला लिया और अब वे सामान्य रूप से अस्पतालों में काम पर लौट आए हैं।
सरकार से मिले लिखित आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म
जनता दल यूनाइटेड (JDU) की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। डॉक्टरों को लिखित भरोसा दिया गया कि उनकी सभी मांगों पर चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी। इसी के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया।
हालांकि, डॉक्टरों की मांगें पूरी तरह से पूरी नहीं हुई हैं, लेकिन सरकार के आश्वासन पर फिलहाल वे काम पर लौट आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर वादों को लागू नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति दोबारा गंभीर हो सकती है।
कब और क्यों शुरू हुई थी हड़ताल?
बुधवार, 17 सितंबर 2025 को बिहार के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक रूप से हड़ताल शुरू की थी। इनकी प्रमुख मांगों में शामिल थीं:
- वेतन वृद्धि और समय पर वेतन भुगतान।
- कार्यस्थल पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करना।
- रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए बेहतर हॉस्टल और आवास की सुविधा।
- मेडिकल कॉलेजों में आधुनिक उपकरण और पर्याप्त दवाइयों की उपलब्धता।
- कार्य अवधि को नियमित करना और अतिरिक्त ड्यूटी के लिए भत्ता।
- पदोन्नति और करियर ग्रोथ से जुड़ी नीतियों में सुधार।
डॉक्टरों का कहना था कि जब तक सरकार इन मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती, वे काम पर नहीं लौटेंगे।
मरीजों की बढ़ी परेशानी
दो दिन चली इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर मरीजों पर पड़ा। पटना के पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) और नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) समेत राज्य के अन्य बड़े अस्पतालों में OPD सेवाएं पूरी तरह से बाधित रहीं। कई मरीज अपने बच्चों और बुजुर्गों का इलाज कराने अस्पताल पहुंचे लेकिन बिना इलाज लौटना पड़ा।
ग्रामीण इलाकों से आए लोगों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं चालू रहने से गंभीर मरीजों को कुछ हद तक राहत मिली। एक मरीज के परिजन ने कहा, “हम दो दिन से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं लेकिन डॉक्टर नहीं मिलने से इलाज शुरू नहीं हो पाया। उम्मीद है कि अब स्थिति सामान्य होगी।