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बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर गरमाई सियासत: अशोक गहलोत बोले- 'एक महीने में 2 करोड़ लोगों का सर्वे मज़ाक'

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर गरमाई सियासत: अशोक गहलोत बोले- 'एक महीने में 2 करोड़ लोगों का सर्वे मज़ाक'

बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत की प्रतिक्रिया सामने आई है। 

Ashok Gehlot: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर केंद्र सरकार और राज्य की नीतीश कुमार सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे चुनाव से पहले जनता को भ्रमित करने वाली और असंवेदनशील प्रक्रिया बताया।

गहलोत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव से महज एक महीने पहले 2 करोड़ लोगों का सर्वेक्षण करना किसी मज़ाक से कम नहीं है। उन्होंने इस फैसले को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा के खिलाफ बताया और कहा कि इससे मतदाता अधिकारों का हनन हो सकता है।

बिहार में बदलेगा सत्ता का चेहरा: गहलोत

एएनआई से बातचीत में अशोक गहलोत ने दावा किया कि बिहार में इस बार बदलाव तय है। उन्होंने कहा, जब मैं पटना गया था, मैंने स्पष्ट देखा कि लोगों में नाराजगी है। जो पहले चुप थे, अब खुलकर अपनी बात कह रहे हैं। INDIA गठबंधन के पक्ष में लहर है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार का यह बदलाव सिर्फ राज्य की राजनीति को नहीं, बल्कि पूरे देश की दिशा को प्रभावित करेगा।

अशोक गहलोत ने अपने पुराने सहयोगी नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, नीतीश कुमार हमारे मित्र जरूर हैं, लेकिन अब वे खुद निर्णय नहीं लेते। बीजेपी उन्हें आगे रखकर शासन चला रही है। उनके अपने सांसदों को भी तोड़कर कमजोर कर दिया गया है। गहलोत के मुताबिक, पिछले ढाई सालों से बिहार में स्थायित्व की भारी कमी है और प्रशासनिक निर्णयों में पारदर्शिता नहीं दिख रही है।

सुप्रीम कोर्ट पर गहलोत की टिप्पणी

बिहार में SIR प्रक्रिया को लेकर जब मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो अदालत ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन साथ में कहा कि मतदाता अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत बोले: जब जज खुद कह रहे हैं कि यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, तो इससे बड़ा तंज और क्या हो सकता है?

उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर नाम हटाने जैसी प्रक्रिया जल्दबाज़ी में की जाती है, तो इसका सबसे ज़्यादा नुकसान आम मतदाताओं को होगा। अशोक गहलोत ने सरकार पर ईडी, सीबीआई और चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ये संस्थाएं स्वतंत्र और निष्पक्ष रहनी चाहिए थीं, लेकिन वर्तमान सरकार के दौरान इन पर जनता का भरोसा डगमगाया है।

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