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बिहार SIR में बड़े घोटाले का मामला, 12 जीवित लोगों को मृत दिखाने का आरोप, जानें वजह

बिहार SIR में बड़े घोटाले का मामला, 12 जीवित लोगों को मृत दिखाने का आरोप, जानें वजह

बिहार एसआईआर विवाद में 12 जीवित मतदाताओं को मृत दिखाने का आरोप लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट रोल और सुधार प्रक्रिया की जानकारी दी है।

Bihar Voter List: बिहार की वोटर लिस्ट रिवीजन यानी एसआईआर (संशोधित मतदाता सूची) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि बिहार के एक छोटे से क्षेत्र में 12 जीवित लोगों को गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई। कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाया कि ये लोग अदालत में क्यों नहीं आए। कपिल सिब्बल ने बताया कि कई याचिकाओं में ये लोग शामिल हैं।

चुनाव आयोग ने दिया ड्राफ्ट रोल बताया, सुधार की प्रक्रिया पर जोर

चुनाव आयोग ने इस मामले में सफाई दी कि अभी जो वोटर लिस्ट जारी हुई है, वह ड्राफ्ट रोल है। इसका मतलब है कि यह अंतिम सूची नहीं है, बल्कि इसे सुधारने के लिए लोगों को आपत्ति दर्ज करने का मौका दिया जाएगा। आयोग ने कहा कि सुधार की प्रक्रिया जारी है और इसमें किसी भी गलती को ठीक किया जाएगा।

कपिल सिब्बल ने उठाए गंभीर सवाल

वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि मतदाता सूची बनाने में नियमों का पालन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि नियम 10 और 12 के अनुसार फॉर्म 4 को घर-घर भेजना जरूरी था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए जो प्रक्रिया है, उसमें भी कई कमियां हैं।

कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, किसी का नाम हटाने के लिए प्रमाण देना जरूरी होता है, लेकिन नियमों का उल्लंघन हुआ है क्योंकि गलत नाम हटाए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दी साफ बात, जिम्मेदारी चुनाव आयोग की

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी का नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से हटाया गया है तो यह साबित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह व्यक्ति नागरिक नहीं है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या चुनाव आयोग ने BLO के माध्यम से फॉर्म 4 वैध तरीके से जारी किए हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना सर्वे प्रक्रिया के ही ड्राफ्ट रोल जारी कर दिया गया।

संवैधानिक नियमों की अनदेखी और मनमानी का आरोप

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि ड्राफ्ट रोल में लगभग 65 लाख नाम हटाए गए हैं लेकिन आयोग ने इस संबंध में कोई सूची नहीं दी है। कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग और BLO ने संवैधानिक नियमों की अनदेखी की है और मनमानी की है। उन्होंने कहा कि नए मतदाता नाम जोड़ने के लिए आधार कार्ड को जन्मतिथि प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन चुनाव आयोग इसे मान्यता नहीं दे रहा।

चुनाव आयोग ने स्वीकारा त्रुटियों का होना स्वाभाविक

चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि बड़े स्तर पर मतदान सूची बनाने की प्रक्रिया में कुछ त्रुटियां हो सकती हैं। यही कारण है कि ड्राफ्ट रोल जारी किया गया है ताकि लोग आपत्तियां दर्ज कर सकें और सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि सुधार की प्रक्रिया और समयावधि पहले से तय है।

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