बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन भी विपक्ष के विरोध के चलते सदन की कार्यवाही बाधित रही। केवल 6 मिनट चली कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
Bihar Assembly Session: बिहार विधानसभा के मानसून सत्र का आज अंतिम दिन भी शोर-शराबे और हंगामे के बीच बीत गया। पहले चार दिन की तरह ही आज भी सदन का माहौल तनावपूर्ण रहा। सदन शुरू होने के महज छह मिनट बाद ही स्पीकर नंद किशोर यादव को कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इस बार विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों आमने-सामने नजर आए।
विपक्ष काले कपड़ों में पहुंचा, वेल में आकर की नारेबाजी
विपक्षी दल के सदस्य आज भी काले कपड़े पहनकर विधानसभा पहुंचे। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के विधायक वेल में आकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उनके मुख्य नारे थे "वोट की चोरी नहीं चलेगी" और "राज्य सरकार होश में आओ"। यह प्रदर्शन बीते दिनों हुई राजनीतिक घटनाओं और आरोपों को लेकर था।
सत्ता पक्ष ने किया पलटवार
विपक्ष की इस कार्रवाई पर सत्ता पक्ष के सदस्य भी भड़क उठे। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि शिक्षक बहाली जैसे गंभीर मुद्दों पर सदन की कार्यवाही को बाधित करना गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। सत्ता पक्ष ने जोर देकर कहा कि सरकार संवाद के लिए तैयार है लेकिन विपक्ष केवल नाटक कर रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जताई नाराजगी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके दोनों डिप्टी सीएम भी सदन में मौजूद रहे। उन्होंने विपक्ष के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सब कुछ धाय-धाय है। विधानसभा से लेकर परिषद तक सिर्फ अनाप-शनाप बातों का दौर चल रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब गंभीरता से कोई बात सुनने की जरूरत होती है, तब विपक्ष सुनना ही नहीं चाहता।
सभापति की अपील भी बेअसर, विरोध जारी रहा
विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्षी सदस्यों से बार-बार अपील की कि वे शांत हो जाएं ताकि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके। उन्होंने कहा, "अगर ऐसे ही हाय-हाय करते रहेंगे, तो चुनाव के बाद भी यही करते रहना पड़ेगा।" लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी जगह अड़े रहे और नारेबाजी करते रहे। स्थिति को बिगड़ता देख सभापति ने केवल 11 मिनट की कार्यवाही के बाद सदन को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया।
मानसून सत्र में लगातार चौथे दिन बाधित हुई कार्यवाही
यह मानसून सत्र का आखिरी दिन था और बीते चार दिनों की तरह आज भी कोई ठोस कार्य नहीं हो सका। हर दिन कुछ मिनटों की कार्यवाही के बाद विपक्षी हंगामे के कारण सत्र को स्थगित करना पड़ा। इससे साफ है कि सरकार और विपक्ष के बीच संवाद की कमी है और विधानसभा जैसी संस्था में सार्थक बहस और जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है।