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बजट से पहले बड़ा दांव! क्या सरकार 50 लाख तक की आय टैक्स फ्री करेगी? जानिए बजट से पहले की बड़ी सिफारिश

बजट से पहले बड़ा दांव! क्या सरकार 50 लाख तक की आय टैक्स फ्री करेगी? जानिए बजट से पहले की बड़ी सिफारिश

उद्योग मंडल PHDCCI ने बजट-पूर्व सिफारिशों में 50 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को टैक्स-फ्री करने की मांग की है। संगठन ने कहा कि टैक्स दरों में कटौती से अनुपालन बढ़ेगा और रेवेन्यू भी मजबूत होगा। साथ ही इनडायरेक्ट टैक्स में फेसलेस वैल्यूएशन और ITC ट्रांसफर की सुविधा जैसे सुधारों का सुझाव भी दिया गया है।

Income tax: केंद्रीय बजट 2025 से पहले उद्योग मंडल PHDCCI ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी सिफारिशों में 50 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को टैक्स-फ्री करने और केवल इससे अधिक कमाने वालों पर 30% टैक्स लगाने की मांग की है। चैंबर ने तर्क दिया कि टैक्स दरों में कमी से अनुपालन और राजस्व दोनों बढ़ेंगे। इसके अलावा, संगठन ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बढ़ावा देने के लिए 15% रियायती कॉर्पोरेट टैक्स रेट पुनः लागू करने और जीएसटी प्रणाली में फेसलेस वैल्यूएशन व ITC ट्रांसफर जैसी सुविधाओं को शामिल करने का सुझाव दिया।

50 लाख की आय तक टैक्स फ्री करने की मांग

पीएचडीसीसीआई ने कहा है कि व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। संगठन का कहना है कि 50 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले व्यक्तियों पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। वर्तमान में नई टैक्स व्यवस्था के तहत 24 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों पर 30 प्रतिशत की उच्चतम दर लागू है।

चैंबर का तर्क है कि कॉर्पोरेट टैक्स घटाने के बाद सरकार को राजस्व नुकसान नहीं हुआ, बल्कि वसूली बढ़ी है। 2018-19 में कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 6.63 लाख करोड़ रुपये था जो 2024-25 में बढ़कर 8.87 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। इससे यह साबित होता है कि टैक्स दरों में कमी से कंप्लायंस बेहतर हुआ और टैक्स भुगतान बढ़ा।

इसी तर्ज पर व्यक्तिगत टैक्स दरों में भी राहत देने से सरकार का राजस्व घटेगा नहीं, बल्कि टैक्स आधार बढ़ेगा और आम लोगों को राहत मिलेगी।

टैक्स ढांचे में यह बदलाव सुझाए गए

पीएचडीसीसीआई ने सरकार को दिए अपने ज्ञापन में कहा है कि वर्तमान टैक्स स्ट्रक्चर लोगों पर भारी बोझ डाल रहा है। व्यक्तिगत टैक्स की अधिकतम दर 30 प्रतिशत है और सरचार्ज मिलाकर यह कुछ मामलों में 39 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि कई टैक्सपेयर्स को अपनी आय का लगभग 40 प्रतिशत सरकार को टैक्स के रूप में देना पड़ता है।

चैंबर ने सुझाव दिया है कि 30 लाख रुपये तक की आय पर अधिकतम टैक्स दर 20 प्रतिशत होनी चाहिए। वहीं 30 लाख से 50 लाख रुपये तक की आय वालों पर 25 प्रतिशत और केवल 50 लाख से अधिक आय वालों पर 30 प्रतिशत की दर लागू की जानी चाहिए। इससे टैक्स प्रणाली ज्यादा संतुलित बनेगी और मध्यम वर्ग को सीधी राहत मिलेगी।

नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए पुराना टैक्स लाभ वापस लाने की सिफारिश

चैंबर ने कहा है कि भारत में नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 115BAB को फिर से लागू किया जाना चाहिए। इस धारा के तहत सितंबर 2019 में नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को केवल 15 प्रतिशत प्लस सरचार्ज की रियायती टैक्स दर दी गई थी।

यह प्रावधान 31 मार्च 2023 तक लागू था, जिसे बाद में एक साल और बढ़ाकर 2024 तक किया गया था। पीएचडीसीसीआई का कहना है कि यह टैक्स रियायत दोबारा लागू की जानी चाहिए ताकि विदेशी कंपनियां भारत में नई यूनिट्स स्थापित करने को प्रोत्साहित हों।

विदेशी निवेश को बढ़ावा देने पर जोर

उद्योग मंडल का मानना है कि 15 प्रतिशत की रियायती टैक्स दर विदेशी कंपनियों को भारत में सहायक इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगी। इससे न केवल विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। भारत पहले से ही दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यदि टैक्स ढांचा अनुकूल हुआ तो यह रफ्तार और तेज हो सकती है।

इनडायरेक्ट टैक्स में भी सुधार की सिफारिशें

पीएचडीसीसीआई ने इनडायरेक्ट टैक्सेशन से जुड़े कई सुझाव भी दिए हैं। चैंबर ने कहा कि इनकम टैक्स की तरह ही जीएसटी में फेसलेस वैल्यूएशन और ऑडिट सिस्टम लागू किया जाना चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और टैक्स प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।

संगठन ने यह भी कहा कि जब किसी सेवा के लिए अग्रिम भुगतान कर दिया जाए और उस पर जीएसटी भी जमा हो जाए, तो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) तुरंत उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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