भारतीय मूल के डॉक्टर श्रीनिवास मुक्कमला ने अमेरिका में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। वे अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (AMA) के अध्यक्ष चुने गए हैं, जो अमेरिका का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित चिकित्सीय संगठन है।
नई दिल्ली: भारतीय मूल के चिकित्सक डॉ. श्रीनिवास मुक्कमला ने न केवल एक जानलेवा बीमारी को मात दी, बल्कि अब अमेरिका की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित चिकित्सकीय संस्था अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) के नए अध्यक्ष बनकर इतिहास रच दिया है। 178 वर्षों के इस संस्थान में वे पहले भारतीय-अमेरिकी हैं जिन्हें यह जिम्मेदारी मिली है।
डॉ. मुक्कमला की यह उपलब्धि इसलिए भी अधिक प्रेरक है क्योंकि उन्होंने हाल ही में 8 सेंटीमीटर के ब्रेन ट्यूमर से लड़ाई लड़ी और महज कुछ महीनों बाद एएमए की कमान संभाल ली। यह न केवल उनके धैर्य और जिजीविषा का प्रतीक है, बल्कि अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा सुधार के प्रति उनके संकल्प को भी दर्शाता है।
मौत को मात देने वाले डॉक्टर
श्रीनिवास मुक्कमला का जीवन हाल ही में एक कठिन मोड़ से गुजरा जब उनके मस्तिष्क में 8 सेमी का ट्यूमर पाया गया। मेयो क्लिनिक में सफल ब्रेन सर्जरी के बाद जब वह आईसीयू में उपचाराधीन थे, तब उन्होंने कहा, उस समय, जब मशीनें मेरी हर सांस को मॉनिटर कर रही थीं, एएमए का नेतृत्व करना एक असंभव सपना लग रहा था। लेकिन आज यह सपना साकार हुआ। उनकी यह यात्रा बीमारी से नेतृत्व तक की एक प्रेरणादायक मिसाल है।
स्वास्थ्य सेवा में सुधार का स्पष्ट एजेंडा
एएमए अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले भाषण में डॉ. मुक्कमला ने अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक महंगी हैं और करोड़ों लोग अभी भी उचित इलाज से वंचित हैं।
उनका कहना है:
हम एक ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए लड़ेंगे जो न्यायसंगत हो, सस्ती हो और हर वर्ग तक पहुंचे। डॉ. मुक्कमला का यह दृष्टिकोण अमेरिका में चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक नई दिशा तय कर सकता है।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन से लंबा जुड़ाव
डॉ. मुक्कमला एएमए से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। उन्होंने पेन केयर टास्क फोर्स का नेतृत्व किया और ओपिओइड ओवरडोज संकट पर गंभीरता से काम किया। उनके नेतृत्व में कई साक्ष्य-आधारित नीतियों को विकसित किया गया, जिनका उद्देश्य चिकित्सा प्रणाली को अधिक सुरक्षित और प्रभावशाली बनाना था।उनकी नियुक्ति यह भी दर्शाती है कि प्रवासी भारतीयों का योगदान अब केवल तकनीकी या व्यवसायिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह अमेरिका की सार्वजनिक नीतियों के निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
फ्लिंट, मिशिगन में बसे डॉ. मुक्कमला ने अपने संघर्ष और सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, अप्पाराव और सुमति मुक्कमला को दिया है। वे बताते हैं कि उनके माता-पिता एक बेहतर जीवन और शिक्षा के अवसरों की तलाश में भारत से अमेरिका आए थे। मैं आज यहां सिर्फ अपनी मेहनत से नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के बलिदानों के कारण हूं, – डॉ. मुक्कमला ने कहा।