ब्रिटेन ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसला है। ब्रिटेन की मंत्री बैरोनेस जेनिफर चैपमैन ने संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में बयान दिया।
लंदन: ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भारत और पाकिस्तान के संबंधों को लेकर हाल ही में एक अहम बहस हुई। इस बहस में खासकर कश्मीर मुद्दे को लेकर भारतीय और पाकिस्तानी मूल के सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बहस के बाद ब्रिटेन की सरकार ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि कश्मीर पूरी तरह भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और ब्रिटेन इस मामले में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता नहीं करना चाहता।
ब्रिटेन की सरकार की ओर से मंत्री बैरोनेस जेनिफर चैपमैन ने संसद के ऊपरी सदन में अपने बयान में कहा कि ब्रिटेन का रुख हमेशा से साफ और स्थिर रहा है। हम मानते हैं कि कश्मीर का मसला भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है, जिसे दोनों देशों को कश्मीरी जनता की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए।
ब्रिटिश संसद में भारत-पाकिस्तान को लेकर क्या हुई बहस?
ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन की 'ग्रैंड कमेटी' में गुरुवार को ‘भारत और पाकिस्तान: शांति प्रयास’ विषय पर चर्चा हुई। इस बहस के दौरान 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र भी आया, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद संसद में यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि क्या इस क्षेत्र में कभी स्थायी शांति संभव है?
पाकिस्तानी मूल के कुछ सांसदों ने इस बहस में कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग उठाई, जबकि भारतीय मूल के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को दोहराया जिसमें उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के राज्य प्रायोजित आतंकवाद के सबूतों की बात कही थी।
ब्रिटेन ने दिया दो टूक जवाब - 'हम न मध्यस्थ हैं, न समाधानकर्ता'
ब्रिटेन सरकार की ओर से मंत्री जेनिफर चैपमैन ने कहा, कश्मीर पर हमारा रुख पूरी तरह स्पष्ट और अपरिवर्तित है। यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे भारत और पाकिस्तान के बीच हल किया जाना चाहिए, जिसमें कश्मीर के लोगों की इच्छाओं का भी सम्मान किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटेन इस मसले में ना तो कोई समाधान सुझाएगा और ना ही मध्यस्थता करेगा।
ब्रिटेन की सरकार का मानना है कि दोनों देशों को सार्थक बातचीत के जरिए ही इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए। साथ ही ब्रिटेन हमेशा यही प्रयास करता रहेगा कि भारत और पाकिस्तान दोनों पक्ष किसी भी ऐसी गतिविधि से बचें जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़े।
ब्रिटेन का उद्देश्य - शांति और स्थायित्व
बैरोनेस चैपमैन ने अपने बयान में कहा कि ब्रिटेन इस पूरे मसले की संवेदनशीलता को भली-भांति समझता है। उनका कहना था कि ब्रिटेन का उद्देश्य क्षेत्र में स्थायी शांति का समर्थन करना है, ताकि वहां के सभी समुदायों के अधिकार और आकांक्षाओं का सम्मान हो सके। उन्होंने कहा, ब्रिटेन कूटनीति के जरिए बातचीत को प्रोत्साहित करता रहेगा, सहयोग को बढ़ावा देगा और संघर्ष की जड़ों को खत्म करने के लिए हरसंभव प्रयास करता रहेगा। हमारा मानना है कि इस क्षेत्र का शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य संभव है।
इस बहस में भारतीय मूल के सांसदों ने भारत के पक्ष को मजबूती से रखा। लॉर्ड करण बिलिमोरिया, जो कि ब्रिटेन-भारत सर्वदलीय संसदीय समूह (APPG) के सह-अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने भारत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय सांसदों का एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में ब्रिटेन आया था, जो इस बात का उदाहरण है कि भारत शांति और स्थायित्व के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है। बिलिमोरिया ने कहा:
भारत अपने पड़ोसियों के साथ शांति चाहता है। वह अपनी अर्थव्यवस्था को आगे ले जाना चाहता है, अपने नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना चाहता है और वैश्विक स्तर पर सकारात्मक भूमिका निभाना चाहता है।
संदीप वर्मा का बयान - शांति ही अंतिम लक्ष्य
ब्रिटेन के ही भारतीय मूल के वरिष्ठ सांसद संदीप वर्मा ने इस बहस के दौरान कहा कि इस पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति ही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का तनाव या संघर्ष ब्रिटेन में बसे प्रवासी समुदायों को भी प्रभावित करता है। संदीप वर्मा ने कहा कि ब्रिटेन में भारतीय और पाकिस्तानी मूल के लाखों लोग रहते हैं, इसलिए इस क्षेत्र में किसी भी तरह की अस्थिरता का असर ब्रिटेन तक महसूस होता है। इसीलिए ब्रिटेन को शांति की प्रक्रिया को समर्थन देना चाहिए।"
ब्रिटेन का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर पाकिस्तानी मूल के सांसद और पाक सरकार कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दखल की मांग करते रहते हैं। लेकिन ब्रिटेन ने दो टूक कह दिया है कि यह भारत और पाकिस्तान का आपसी मामला है। ब्रिटेन केवल शांति और बातचीत के माहौल को बढ़ावा देने के लिए काम करता रहेगा।