दार्जिलिंग और मिरिक में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिसमें 23 लोगों की मौत और कई घायल हुए। प्रशासन और NDRF राहत कार्य में जुटे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगी।
Darjeeling & Mirik Landslide 2025: पश्चिम बंगाल के मिरिक और दार्जिलिंग पहाड़ियों में रविवार को लगातार हुई भारी बारिश ने भूस्खलन का रूप ले लिया। इस प्राकृतिक आपदा में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन के कारण कई घर बह गए, सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं और दूरदराज के कई गांवों का संपर्क टूट गया। सैकड़ों पर्यटक फंसे रहे, जिन्हें बचाने के लिए प्रशासन और राहत दलों ने कार्य तेज कर दिया।
भारी बारिश और भूस्खलन की शुरुआत
3 अक्टूबर की रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने दार्जिलिंग और मिरिक की पहाड़ियों में तबाही मचा दी। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मात्र 12 घंटे पहले ही भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी, लेकिन छह घंटे की लगातार बारिश ने बालासन नदी पर बने दुधिया पुल को नष्ट कर दिया, जो सिलीगुड़ी को मिरिक से जोड़ता था। इसके कारण सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग बाधित हो गए।
दार्जिलिंग का क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है। रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 1899, 1934, 1950, 1968, 1975, 1980, 1991, 2011 और 2015 में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुए थे। विशेष रूप से अक्टूबर 1968 में आई विनाशकारी बाढ़ में एक हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
मृतकों की संख्या बढ़ी
एनडीआरएफ और पश्चिम बंगाल सरकार के दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में सरसली, जसबीरगांव, मिरिक बस्ती, धार गांव (मेची), नागराकाटा और मिरिक झील क्षेत्र शामिल हैं।
निकटवर्ती जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में मलबे से पांच शव बरामद किए गए। मिरिक, दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी में कुल 23 लोगों की मौत हुई है। मिरिक में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई और सात घायल को बचाया गया। दार्जिलिंग में सात लोगों की मौत हुई। धार गांव में मलबे से कम से कम 40 लोगों को बचाया गया, जबकि कई घर ध्वस्त हो गए।
उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने कहा कि स्थिति चिंताजनक है और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (GTA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनित थापा ने बताया कि पहाड़ों की रानी के रूप में प्रसिद्ध इस क्षेत्र में कम से कम 35 स्थानों पर भूस्खलन हुआ।
पर्यटकों की स्थिति
दुर्गा पूजा और उत्सवों के लिए दार्जिलिंग पहाड़ियों में आए सैकड़ों पर्यटक भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण फंस गए। इनमें कोलकाता और बंगाल के अन्य हिस्सों से आए परिवार और समूह शामिल थे। पर्यटक मिरिक, घूम और लेपचाजगत जैसे लोकप्रिय स्थानों पर जा रहे थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार फंसे पर्यटकों को सुरक्षित वापस लाने की व्यवस्था करेगी। उन्होंने पर्यटकों से अपील की कि वे घबराएं नहीं और जल्दबाजी में वहां से न निकलें। उन्होंने कहा कि सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और होटल वालों को पर्यटकों से ज्यादा शुल्क नहीं लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवारों को सरकारी मुआवजा मिलेगा और उनके एक सदस्य को रोजगार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने छह अक्टूबर को उत्तर बंगाल का दौरा करने का ऐलान किया और प्रभावित क्षेत्र की स्थिति का खुद आकलन करेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दार्जिलिंग में हुई तबाही पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और घायलों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।
राहत और बचाव कार्य
एनडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने बचाव अभियान तेज कर दिया है। मलबे और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण बचाव कार्य कठिन है। मिरिक में कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया। स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और जिला प्रशासन ने अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं।
भूस्खलन और सड़क अवरोधों के कारण पूरे क्षेत्र में यातायात बाधित है। सिलीगुड़ी को मिरिक-दार्जिलिंग मार्ग से जोड़ने वाला लोहे का पुल क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे क्षेत्र तक पहुंच मुश्किल हो गई।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग सहित उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में छह अक्टूबर तक अत्यधिक भारी वर्षा का रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग ने मिट्टी की नाजुक स्थिति के कारण और अधिक भूस्खलन की संभावना जताई। लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों में सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
दार्जिलिंग क्षेत्र पिछले कई वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है। वर्ष 1899, 1934, 1950, 1968, 1975, 1980, 1991, 2011 और 2015 में बड़े भूस्खलन और बाढ़ दर्ज हैं। अक्टूबर 1968 में आई विनाशकारी बाढ़ में एक हजार से अधिक लोग मारे गए।