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दिल्ली अदालतों में पुलिस वीडियो गवाही आदेश का विरोध, हाई कोर्ट में सुनवाई

दिल्ली अदालतों में पुलिस वीडियो गवाही आदेश का विरोध, हाई कोर्ट में सुनवाई

दिल्ली में पुलिसकर्मियों की वीडियो कॉन्फ्रेंस गवाही पर विवाद। वकीलों ने उपराज्यपाल के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिका में कहा गया है कि इससे निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित हो सकती है।

New Delhi: दिल्ली के उपराज्यपाल के हाल ही में जारी किए गए आदेश ने न्यायिक प्रणाली में बहस को जन्म दिया है। इस आदेश के अनुसार पुलिस जांच अधिकारी आपराधिक मामलों की सुनवाई के दौरान थाने से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होकर गवाही दे सकते हैं। इस आदेश को लेकर वकीलों और न्यायिक विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इससे निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित हो सकती है।

आदेश के बाद बढ़ा विवाद

उपराज्यपाल का आदेश यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पुलिसकर्मी थाने से ही कोर्ट में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज करा सकें। इससे उनकी सुरक्षा बढ़ेगी और कोर्ट में बार-बार आने-जाने का समय और संसाधन बचेगा। हालांकि, वकीलों का मानना है कि इस व्यवस्था से अभियोजन पक्ष को अनुचित लाभ हो सकता है और गवाहों को पहले से तैयार किया जा सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती

कपिल मदान ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यह अधिसूचना निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांत और शक्तियों के बंटवारे के नियमों का उल्लंघन करती है। याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया है कि इस अधिसूचना को रद्द किया जाए और न्यायिक प्रक्रिया में पारंपरिक पद्धति के अनुसार गवाही को प्राथमिकता दी जाए।

वकीलों की चिंता

इस याचिका के माध्यम से वकील गुरमुख सिंह अरोड़ा और आयुषी बिष्ट ने कोर्ट में कहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की अनुमति देने से गवाहों को पहले से निर्देशित किया जा सकता है। इससे न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित होती है। उनका तर्क है कि पुलिस को थाने से गवाही देने की अनुमति देने से अभियोजन पक्ष को बढ़त मिल सकती है।

अदालतों में विरोध

उपराज्यपाल की अधिसूचना जारी होने के बाद से न्यायिक अदालतों में इसका विरोध शुरू हो गया है। कुछ अदालतों में वकीलों और कर्मचारियों ने हड़ताल की है, जबकि अन्य जगहों पर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। न्यायिक विशेषज्ञ और वकील इसे न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ मान रहे हैं।

सुनवाई की संभावना

उम्मीद है कि इस हफ्ते ही दिल्ली हाई कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई होगी। अदालत इस मामले में उपराज्यपाल के आदेश की वैधता और निष्पक्ष सुनवाई पर उसके प्रभाव का मूल्यांकन करेगी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष अपने तर्क रखेंगे और अदालत इस पर निर्णय लेगी कि वीडियो कॉन्फ्रेंस गवाही की अनुमति जारी रह सकती है या नहीं।

क्या है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

कोविड-19 महामारी के दौरान न्यायिक प्रणाली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को अपनाया था। इससे अदालतों में कार्यभार कम हुआ और गवाहों और वकीलों के समय की बचत हुई। हालांकि, इस तकनीक के लगातार इस्तेमाल से कुछ विशेषज्ञ यह चिंता जता रहे हैं कि इससे न्यायिक प्रक्रिया में पारंपरिक तरीके की गंभीरता कम हो सकती है।

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