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दिल्ली में ग्रीन पटाखों को लेकर मतभेद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले उत्सुकता और चिंता

दिल्ली में ग्रीन पटाखों को लेकर मतभेद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले उत्सुकता और चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दिवाली पर ग्रीन पटाखों की बिक्री पर फैसला सुरक्षित रखा। व्यापारी उनका स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ नागरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की मांग कर रहे हैं। अनुमति न मिलने पर अवैध बाजार की आशंका जताई जा रही है।

नई दिल्ली: दिवाली से ठीक एक हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति देने के संकेत दिए हैं। कोर्ट का अंतिम आदेश सोमवार को सुनाया जा सकता है। इस कदम को लेकर शहर में उत्सुकता और चिंता दोनों का माहौल है।

कई निवासियों ने आतिशबाजी की वापसी का स्वागत किया और इसे त्योहार का अनिवार्य हिस्सा बताया। वहीं, स्वास्थ्य और प्रदूषण के प्रति जागरूक लोग चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि एक बार फिर प्रदूषणकारी और शोरगुल वाले पटाखों का रास्ता खुल सकता है।

ग्रीन पटाखों से कालाबाजारी पर रोक 

दिल्ली के पटाखा व्यापारी संघ के सदस्य राजीव कुमार जैन ने कहा कि ग्रीन पटाखों की अनुमति मिलने से कालाबाजारी पर लगाम लग सकती है और लोगों को सुरक्षित विकल्प मिलेंगे। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि अनुमति न मिलने पर अवैध कारोबार बढ़ सकता है।

जैन के अनुसार, ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 20-30% कम हानिकारक कण उत्सर्जित करते हैं। यह कदम नए और सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देगा, जिससे त्योहारों में सुरक्षा और नियंत्रण दोनों सुनिश्चित किए जा सकेंगे।

दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों का उत्पादन शुरू

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही सितंबर में प्रमाणित निर्माताओं को दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों का उत्पादन करने की अनुमति दी गई थी। निर्माताओं ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया।

पिछली दिवाली में पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद पारंपरिक पटाखों का व्यापक उपयोग देखा गया। इस बार ग्रीन पटाखों की बिक्री से बाजार में वैध विकल्प उपलब्ध होंगे और लोगों को स्वच्छ और नियंत्रित विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा।

ग्रीन पटाखों से स्वास्थ्य और प्रदूषण की चिंताएं

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीन पटाखों में भी कुछ हानिकारक तत्व मौजूद हैं। दिल्ली की पहले से तनावपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली को देखते हुए, इनकी निगरानी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

छोटे बच्चों के माता-पिता और स्वास्थ्य संगठनों ने यह चिंता जताई है कि ग्रीन पटाखे भी अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों के लिए खतरा बने रहेंगे। नेहा जैन, दो बच्चों की मां, ने कहा, “प्रदूषित हवा को इस बात की परवाह नहीं कि पटाखे पर ‘ग्रीन’ का लेबल लगा है या नहीं। बच्चों की सुरक्षा पहले आनी चाहिए।”

पूरे भारत में ग्रीन पटाखों की बढ़ती मांग

राजीव कुमार जैन के अनुसार, ग्रीन पटाखों की पूरे भारत में भारी मांग है। नवाचारों से नई रेंज विकसित की गई है जिसमें पारंपरिक प्रभाव बनाए रखते हुए उत्सर्जन को नियंत्रित किया गया है।

सिर्फ दिवाली ही नहीं, पूरे साल भारत में कम से कम 20 त्योहार ऐसे हैं जिनमें आतिशबाजी का इस्तेमाल होता है। इस दृष्टिकोण से नियंत्रित और सुरक्षित विकल्पों की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।

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