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दिल्ली में यमुना का कहर: हजारों लोग हुए बेघर; प्रशासन और NDRF ने संभाला मोर्चा

दिल्ली में यमुना का कहर: हजारों लोग हुए बेघर; प्रशासन और NDRF ने संभाला मोर्चा

यमुना इस समय अपने रौद्र रूप में बह रही है और पानी ने खादर क्षेत्र में भारी तबाही मचा दी है। कई दिनों से प्रशासन लोगों को क्षेत्र खाली करने की चेतावनी देता रहा, लेकिन लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए।

Delhi Flood Alert: दिल्ली इन दिनों यमुना नदी के उफान से जूझ रही है। लगातार बढ़ते जलस्तर ने राजधानी के कई इलाकों को बाढ़ग्रस्त कर दिया है। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं, जबकि राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। प्रशासन और NDRF (नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं।

दिल्ली सचिवालय तक पहुंचा पानी, हजारों लोग बेघर

यमुना का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि पानी दिल्ली सचिवालय तक पहुंच गया। कई निम्न-इलाके पूरी तरह डूब चुके हैं। बदरपुर खादर, गढ़ी मांडू, पुराना उस्मानपुर, मोनेस्ट्री, यमुना बाजार, विश्वकर्मा कॉलोनी और प्रधान गार्डन जैसे इलाकों में पानी लबालब भरा हुआ है। लगभग 15,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में पहुंचाए गए हैं। हालांकि, राहत शिविरों की संख्या प्रभावित आबादी के हिसाब से काफी कम है। कई लोग सड़क किनारे, डिवाइडर पर और फुटपाथ पर तिरपाल डालकर रहने को मजबूर हैं।

गढ़ी मांडू गांव के एक ग्रामीण ओमवीर और खादर क्षेत्र से गुजर रहे व्यापारी संतोष शर्मा पानी में बहकर लापता हो गए। दोनों की तलाश में NDRF की टीमें लगी हुई हैं। वहीं बोट क्लब की टीम ने अब तक 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है।

ट्रैफिक जाम और जलभराव की बड़ी समस्या

प्रशासन ने कई दिनों पहले ही लोगों को खादर क्षेत्र खाली करने की अपील की थी। इसके बावजूद कई लोग घर नहीं छोड़ना चाहते थे। बुधवार तड़के जब पानी घरों में भर गया और जान पर बन आई तो लोगों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। बच्चों को बचाने के लिए कई परिवारों ने थर्मोकोल की शीट को नाव बनाया और उन्हें बाहर निकाला। वहीं एक महिला सड़क किनारे बारिश में छतरी लेकर खाना बनाती देखी गई।

कश्मीरी गेट बस अड्डे और रिंग रोड के पास पानी भरने से भीषण जाम की स्थिति बनी हुई है। वाहन रेंग-रेंग कर चल रहे हैं। कई पिकनिक स्पॉट जैसे सिग्नेचर ब्रिज और वजीराबाद पुश्ता रोड पर लोग यमुना का बदला हुआ रूप देखने पहुंचे।

जलस्तर बढ़ने के साथ ही सांप और अन्य जंगली जानवरों का खतरा भी बढ़ गया है। उस्मानपुर, गढ़ी मांडू और सोनिया विहार में कई सांप देखे गए। प्रशासन ने राहत शिविरों में रहने वाले लोगों को जंगली जानवरों से सतर्क रहने की सलाह दी है। वहीं सोनिया विहार इलाके में नीलगाय भी देखी गई हैं, जो आम दिनों में नजर नहीं आतीं।

एलजी के प्रोजेक्ट भी डूबे

प्रभावित क्षेत्रों में ढाई हजार से अधिक पशु भी संकट में हैं। उस्मानपुर और गढ़ी मांडू गांवों में 2100 से अधिक भैंसें और पुराना लोहापुल के पास अवैध गोशाला में लगभग 400 गायें फंसी हुई हैं। जगह-जगह गोबर के कारण सड़कें फिसलन भरी हो गई हैं और लोगों को चलने-फिरने में परेशानी हो रही है। प्रशासन के पास इतने बड़े पैमाने पर पशुओं को सुरक्षित रखने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

दिल्ली सरकार और DDA (दिल्ली विकास प्राधिकरण) द्वारा यमुना किनारे बनाए गए कई प्रोजेक्ट भी जलमग्न हो गए हैं। असिता ईस्ट पार्क, जिसे G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विकसित किया गया था, पूरी तरह डूब चुका है। यहां हॉट एयर बैलून उड़ाने की योजना थी, लेकिन अब यह फिलहाल टल गई है।

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