Columbus

दिल्ली: POCSO मामले में 500 पन्नों की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा – 'न्यायिक समय की बर्बादी'

दिल्ली: POCSO मामले में 500 पन्नों की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा – 'न्यायिक समय की बर्बादी'

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने पॉक्सो मामले में आरोपी की 500 पन्नों की जमानत याचिका खारिज कर दी। जज ने कहा कि इतना लंबा दस्तावेज पढ़ना न्यायिक समय बर्बाद करने जैसा है।

नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने शुक्रवार को एक पॉक्सो (POCSO) मामले में आरोपी की 500 पन्नों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इतनी लंबी और विस्तृत याचिका पर विचार करना न्यायिक समय की बर्बादी होगी। जज रमेश कुमार ने आरोपी और उसके वकील को सलाह दी कि वे संक्षिप्त याचिका दायर कर सकते हैं।

कोर्ट की सुनवाई बंद कमरे में हुई और मामले से जुड़े लोगों के अलावा किसी को भी उपस्थित होने की अनुमति नहीं थी। आरोपी के वकील ने लगभग 500 पन्नों का मसौदा पेश किया था, जिसे जज ने न्यायिक दृष्टि से असंगत और समय लेने वाला बताया।

500 पेज की जमानत याचिका खारिज

कड़कड़डूमा कोर्ट के पॉक्सो मामलों के स्पेशल जज रमेश कुमार ने स्पष्ट कहा कि 500 पन्नों की याचिका पर विचार करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत के लिए इतनी बड़ी मात्रा में दस्तावेज पढ़ना और हर बिंदु पर निर्णय देना समय की हानि होगी।

जज ने आरोपी के वकील को निर्देश दिया कि वे याचिका को संक्षिप्त करें और आवश्यक बिंदुओं को ही शामिल करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपी को नई, संक्षिप्त जमानत याचिका दायर करने की पूरी स्वतंत्रता है।

मामले की सुनवाई में संक्षिप्त याचिका जरूरी

यह मामला पिछले साल कल्याणपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। पीड़ित पक्ष और आरोपी दोनों के विवरण अदालत में प्रस्तुत किए गए। सुनवाई गोपनीय और बंद कमरे में हुई, ताकि मामले की संवेदनशीलता और पीड़ित की सुरक्षा बनी रहे।

अदालत ने कहा कि लंबे दस्तावेज़ की बजाय संक्षिप्त और स्पष्ट याचिका दायर करना न्यायपालिका और आरोपी दोनों के हित में होगा। यह निर्णय अदालत की कार्यक्षमता और बच्चों की सुरक्षा पर जोर देने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है।

POCSO एक्ट बच्चों की सुरक्षा के लिए अहम कानून

POCSO एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences-2012) बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण कानून है। इस एक्ट का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना और यौन अपराधों के मामलों में प्रभावी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना है।

इस एक्ट के तहत विशेष न्यायिक संस्थाएं गठित की गई हैं, ताकि बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके। यह कानून ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई करने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए बनाया गया है।

Leave a comment