उच्चतम न्यायालय ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) और एफएसडीएल के बीच चल रहे विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई 22 अगस्त को करने का निर्णय सोमवार को लिया।
नई दिल्ली: अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) और फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (FSDL) के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की पीठ ने इस मामले की सुनवाई 22 अगस्त 2025 को करने का निर्णय लिया है। यह विवाद इंडियन सुपर लीग (ISL) के 11 क्लबों और शीर्ष घरेलू फुटबॉल प्रतियोगिता के भविष्य को लेकर उत्पन्न हुआ है।
विवाद की जड़: अनुबंध और टूर्नामेंट का भविष्य
इस विवाद की शुरुआत AIFF और FSDL के बीच अनुबंध नवीनीकरण न होने के कारण हुई है। इंडियन सुपर लीग (ISL) के 11 क्लबों ने एआईएफएफ को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो वे पूरी प्रतियोगिता को बंद करने पर विचार कर सकते हैं। क्लबों का कहना है कि लगातार इस गतिरोध के चलते खिलाड़ियों और फुटबॉल के विकास को नुकसान होगा।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि अनुबंध की अवधि के दौरान FSDL को ISL का आयोजन करना होगा और इसे सम्मानपूर्वक पूरा करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो AIFF को अनुबंध समाप्त करने और नए निविदा जारी करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि अगर टूर्नामेंट समय पर आयोजित नहीं होता, तो खिलाड़ियों को आर्थिक नुकसान होगा और FIFA नियमों के तहत भारत पर प्रतिबंध लग सकता है। कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लिया और मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय की।
ISL क्लबों की चिंता
11 ISL क्लबों का कहना है कि इस विवाद से उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है। उनका मुख्य डर यह है कि यदि AIFF और FSDL के बीच समझौता नहीं होता, तो ISL सीजन रद्द या स्थगित हो सकता है। क्लबों ने कोर्ट में यह भी बताया कि खिलाड़ियों की सैलरी और टूर्नामेंट के संचालन के लिए जरूरी वित्तीय व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
इस मामले में कोर्ट ने विशेष रूप से ध्यान दिया कि ISL केवल क्लबों और आयोजकों का मामला नहीं है, बल्कि भारत में फुटबॉल की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले की पूरी गंभीरता को देखते हुए सुनवाई की तिथि तय की है। 22 अगस्त को होने वाली सुनवाई में कोर्ट इस बात पर निर्णय लेगी कि FSDL को अनुबंध का सम्मान करने के लिए आदेश दिया जाए या AIFF को नया निविदा जारी करने की अनुमति मिले।