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Gemini को मिलेगा Android ऐप्स तक सीधा एक्सेस: Google के नए अपडेट ने बढ़ाई प्राइवेसी की चिंता

Gemini को मिलेगा Android ऐप्स तक सीधा एक्सेस: Google के नए अपडेट ने बढ़ाई प्राइवेसी की चिंता

गूगल का Gemini असिस्टेंट 7 जुलाई से व्हाट्सएप और फोन ऐप्स से इंटरैक्ट करेगा, भले ही फीचर बंद हो, जिससे प्राइवेसी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

Google: गूगल अपने AI असिस्टेंट Gemini को लेकर एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है, जिससे Android यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। एक हालिया ईमेल में Google ने बताया है कि 7 जुलाई 2025 से Gemini ऐप्स एक्सटेंशन फीचर को अपडेट किया जाएगा, जिससे यह व्हाट्सएप, फोन कॉल्स, मैसेज और अन्य यूटिलिटी ऐप्स के साथ सीधे इंटरैक्ट कर सकेगा – भले ही यूजर ने वह फीचर बंद कर रखा हो।

यह घोषणा उस समय सामने आई जब कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर इस ईमेल के स्क्रीनशॉट शेयर किए। इन पोस्ट्स ने न केवल Android समुदाय में हलचल मचा दी है, बल्कि Google की डेटा पारदर्शिता और यूजर कंट्रोल पॉलिसी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है ईमेल में खास?

गूगल ने यह ईमेल कुछ चुनिंदा Android यूजर्स को भेजा है, जिसमें कहा गया है – 'We've made it easier for Gemini to interact with your device.'

इस ईमेल के अनुसार, गूगल का Gemini असिस्टेंट अब फोन, मैसेज, व्हाट्सएप और अन्य सिस्टम ऐप्स के साथ बेहतर ढंग से संवाद करेगा। लेकिन असली चिंता की बात यह है कि कंपनी का यह फीचर उस स्थिति में भी सक्रिय रहेगा जब यूजर ने इसे मैनुअली डिसेबल कर दिया हो।

अब तक, Gemini ऐप्स एक्सटेंशन फीचर केवल उसी समय कार्य करता था जब यूजर ऐप की सेटिंग्स में जाकर उसे मैन्युअली ऑन करता था। लेकिन यह नया अपडेट जाहिर करता है कि कंपनी इस प्रक्रिया को ऑटोमैटिक बना रही है।

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

टेक टिप्सटर CID ने सबसे पहले इस ईमेल का स्क्रीनशॉट X (पहले Twitter) पर साझा किया। इसके बाद कई अन्य यूजर्स ने भी यही ईमेल मिलने की पुष्टि की। हालांकि, कुछ मीडिया आउटलेट्स जैसे Gadgets 360 ने स्पष्ट किया कि उनके कर्मचारियों को ऐसा कोई ईमेल नहीं मिला है, जिससे यह अंदेशा भी बढ़ गया है कि यह रोलआउट फिलहाल बीटा टेस्टिंग के तहत हो सकता है।

Android Authority ने भी इन ईमेल्स की पुष्टि की है और बताया कि गूगल जल्द ही Gemini की AI क्षमताओं को ज्यादा गहराई से सिस्टम ऐप्स में एकीकृत करने जा रहा है।

प्राइवेसी को लेकर सवाल

Google का यह कदम तकनीकी रूप से उन्नत हो सकता है, लेकिन इससे यूजर डेटा और गोपनीयता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

1. डेटा प्रोसेसिंग का तरीका अस्पष्ट

जब Gemini इन ऐप्स से इंटरैक्ट करेगा, तो कौन-सा डेटा एकत्र किया जाएगा? क्या उसे क्लाउड में स्टोर किया जाएगा? क्या उसका उपयोग अन्य AI मॉडल को ट्रेन करने में होगा? इन सभी सवालों के उत्तर अभी तक अस्पष्ट हैं।

2. कंट्रोल का भ्रम

ईमेल में यह भी कहा गया है कि यूजर Gemini ऐप की सेटिंग्स में जाकर इन सुविधाओं को बंद कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले यह भी लिखा है कि फीचर चालू न होने पर भी यह इंटरैक्शन जारी रहेगा। यह विरोधाभास यूजर्स के लिए भ्रम का कारण बन गया है।

AI एक्सेस और संभावित खतरे

Gemini द्वारा ऐप्स से डेटा एक्सेस किए जाने की प्रक्रिया Google Assistant की तरह लग सकती है, लेकिन फर्क यह है कि Gemini एक AI मॉडल है, जो अधिक गहराई से सीखता और डेटा को प्रोसेस करता है। जब ऐसा AI निजी मैसेजिंग ऐप्स या कॉल लॉग्स से डेटा लेता है, तो यह न सिर्फ प्राइवेसी, बल्कि सुरक्षा के लिए भी चुनौती बन सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बिना यूजर की स्पष्ट सहमति के इस प्रकार का इंटरैक्शन भविष्य में AI-नियंत्रित डिवाइसेज़ के लिए खतरे का संकेत हो सकता है।

Google की आधिकारिक चुप्पी

अब तक Google ने इस फीचर पर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान नहीं दिया है। ना ही यह बताया गया है कि यह बदलाव किन-किन यूजर्स के लिए लागू होगा और कौन-से डिवाइसेज़ इससे प्रभावित होंगे।

इसके साथ ही, ईमेल में यह भी नहीं बताया गया कि यूजर इस नए AI इंटरैक्शन को पूरी तरह से कैसे निष्क्रिय कर सकते हैं।

यह फीचर बीटा टेस्टिंग में हो सकता है

कुछ टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फीचर फिलहाल केवल बीटा यूजर्स के लिए है, ताकि Google यह समझ सके कि AI का यह गहरा एकीकरण वास्तविक समय में कैसा प्रदर्शन करता है। हो सकता है कि 7 जुलाई को इसका एक सार्वजनिक या सीमित संस्करण रिलीज किया जाए।

लेकिन चूंकि यूजर्स को बिना पूरी जानकारी के इस फीचर की सूचना दी गई है, इसलिए यह पारदर्शिता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।

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