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हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: नागार्जुन की पर्सनालिटी पर एआई का खतरा, जानें पूरा मामला

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश: नागार्जुन की पर्सनालिटी पर एआई का खतरा, जानें पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने तेलुगु सुपरस्टार अक्किनैनी नागार्जुन के व्यक्तित्व अधिकारों को संरक्षण दिया है। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने नाम और छवि के दुरुपयोग के खिलाफ याचिका दायर की थी। अदालत ने अनधिकृत सामग्री, एआई-जनित कंटेंट और फर्जी प्रमोशन्स पर रोक लगाने के निर्देश दिए। नागार्जुन ने कोर्ट और अपने वकीलों का आभार जताया।

मनोरंजन: तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता अक्किनैनी नागार्जुन को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। नागार्जुन ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी छवि और नाम के गलत इस्तेमाल, अश्लील या भ्रामक सामग्री में उपयोग और एआई द्वारा जनरेटेड कंटेंट से जुड़े खतरे को लेकर याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने 14 लिंक हटाने के आदेश दिए और चेताया कि इंटरनेट पर डाली गई सामग्री एआई मॉडल बिना प्रामाणिकता जांचे उठा सकते हैं। नागार्जुन ने इस फैसले को अपनी पर्सनालिटी की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।

नागार्जुन को मिली अंतरिम राहत

तेलुगु सिनेमा के दिग्गज अभिनेता नागार्जुन ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए यह शिकायत दर्ज कराई थी कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनके नाम और पहचान का गलत इस्तेमाल हो रहा है। उनकी छवि को बिना अनुमति के अश्लील सामग्री, विज्ञापनों और एआई जनरेटेड कंटेंट में जोड़ा जा रहा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति तेजस करिया के समक्ष हुई। अदालत ने नागार्जुन को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अदालत के सामने रखी गई दलीलें

याचिका में उल्लंघन की तीन प्रमुख श्रेणियां चिन्हित की गईं। इनमें नागार्जुन के नाम पर अश्लील सामग्री का प्रसार, उनकी छवि का उपयोग करके बिना अनुमति वाले व्यापारिक विज्ञापन और एआई जनरेटेड कंटेंट शामिल थे। वकीलों ने अदालत के सामने यह तर्क दिया कि यूट्यूब शॉर्ट्स और पेड प्रमोशनल वीडियो में नागार्जुन से जुड़े हैशटैग का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की सामग्री का इस्तेमाल एआई मॉडल को ट्रेन करने में किया जा सकता है, जिससे आगे चलकर उनकी पहचान का गलत इस्तेमाल बढ़ सकता है।

अभिनेता ने जताया आभार

नागार्जुन ने 25 सितंबर को अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए अदालत के फैसले पर आभार जताया। उन्होंने लिखा कि आज के डिजिटल युग में उनके व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का आभारी हूं। उन्होंने अपने वकीलों की टीम का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने इस मामले में मजबूत कानूनी रणनीति और तर्क प्रस्तुत किए। नागार्जुन ने कहा कि उनकी पहचान के गलत इस्तेमाल के खिलाफ यह फैसला बड़ा कदम है।

एआई युग की चुनौती

अदालत ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की कि एक बार कोई भी सामग्री इंटरनेट पर अपलोड हो जाने के बाद जनरेटिव एआई मॉडल उसे उठा सकते हैं। ये मॉडल सामग्री की प्रामाणिकता की परवाह नहीं करते। यही कारण है कि सार्वजनिक हस्तियों की छवि और व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करना और भी मुश्किल हो जाता है। अदालत ने यह भी कहा कि कुछ खास लिंक या यूआरएल को हटाने का निर्देश दिया जा सकता है। अब तक 14 ऐसे लिंक की पहचान की गई है, जिन्हें हटाने का आदेश दिया गया है।

न्यायमूर्ति तेजस करिया ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सार्वजनिक हस्तियों की स्थायी लोकप्रियता को देखते हुए यह एक बड़ा सवाल है कि इस तरह के निषेधाज्ञा कितने समय तक जारी रह सकते हैं। अदालत ने माना कि डिजिटल युग में यह चुनौती लगातार बढ़ती जा रही है, जहां किसी भी सेलिब्रिटी की छवि का गलत इस्तेमाल पलक झपकते ही हजारों प्लेटफॉर्म पर फैल सकता है।

फिल्मी सितारे क्यों हो रहे सतर्क

एआई तकनीक के आने के बाद से फिल्मी सितारों की छवि और आवाज को बिना अनुमति इस्तेमाल करना आसान हो गया है। कई बार विज्ञापन कंपनियां, यूट्यूब क्रिएटर्स और अन्य प्लेटफॉर्म सेलिब्रिटी की तस्वीरों और वीडियो को अपने कंटेंट में जोड़ देते हैं। इससे न केवल सितारों की पर्सनालिटी को नुकसान पहुंचता है बल्कि उनके ब्रांड वैल्यू पर भी असर पड़ता है। यही कारण है कि अब सितारे अपने व्यक्तित्व अधिकारों को लेकर कानूनी सुरक्षा चाहते हैं।

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