असीम घोष ने हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। संघ और भाजपा में वर्षों की भूमिका के बाद, अब वे प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाएंगे। उनके अनुभव से राज्य को फायदा मिलने की उम्मीद है।
Haryana New Governor: हरियाणा को नया संवैधानिक प्रमुख मिल गया है। प्रोफेसर असीम कुमार घोष ने सोमवार को चंडीगढ़ स्थित राजभवन में हरियाणा के 19वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली। उन्हें यह शपथ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने दिलाई। समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया भी मौजूद रहे।
घोष ने अंग्रेजी में शपथ ली और इस तरह उन्होंने बंडारू दत्तात्रेय का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल हाल ही में पूरा हुआ है। असीम घोष भाजपा के वरिष्ठ नेता और बुद्धिजीवी माने जाते हैं।
राजनीतिक जीवन और वैचारिक पहचान
असीम घोष का राजनीतिक सफर एक कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक का रहा है। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और आरएसएस की पृष्ठभूमि से आते हैं। घोष को भाजपा में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विश्वासपात्र नेता माना जाता था।
पश्चिम बंगाल में पार्टी के विस्तार और वैचारिक मजबूती में उनका विशेष योगदान रहा है। घोष को 1999 से 2002 तक पश्चिम बंगाल भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी के विचारक और अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में उनकी छवि हमेशा बनी रही।
शिक्षाविद् से नेता तक
राजनीति में सक्रिय होने से पहले असीम घोष एक शिक्षक थे। वे कोलकाता के श्री शिक्षायतन कॉलेज में प्रोफेसर थे। उनकी अकादमिक पृष्ठभूमि और विचारधारा ने उन्हें पार्टी में एक ‘बौद्धिक चेहरा’ बनाया। उनके द्वारा तैयार की गई वैचारिक रणनीतियां बंगाल में भाजपा के उभार के पीछे एक अहम वजह रही हैं। हालांकि, वर्ष 2002 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। इसके बावजूद वे पार्टी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल रहे और नीतिगत सलाह देते रहे।
लोकसभा चुनाव में हाथ आज़माया लेकिन सफलता नहीं मिली
साल 2013 में असीम घोष ने हावड़ा लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ा था। यह सीट अंबिका बनर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में मिली असफलता के बाद भी उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और वैचारिक प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई।
20 साल बाद वापसी, राज्यपाल के रूप में नई जिम्मेदारी
करीब दो दशक तक सार्वजनिक राजनीति से दूरी बनाए रखने के बाद अब असीम घोष एक संवैधानिक भूमिका में लौटे हैं। हरियाणा जैसे रणनीतिक रूप से अहम राज्य में उन्हें राज्यपाल बनाया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 14 जुलाई 2025 को उनके नाम की घोषणा की थी। राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद घोष ने कहा कि वे हरियाणा के लोगों की सेवा पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे मुख्यमंत्री और प्रशासन के साथ मिलकर जनता के हित में कार्य करेंगे।
विपक्ष की बात भी सुनेंगे
घोष ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल के रूप में उनकी भूमिका सिर्फ सरकार तक सीमित नहीं होगी। वे विपक्ष की बातों को भी सुनेंगे और लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाएंगे। उनका यह बयान उनके संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
हरियाणा के राज्यपालों का इतिहास
हरियाणा के गठन (1966) के बाद से अब तक 18 राज्यपाल नियुक्त किए जा चुके हैं। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
- धर्मवीर (1966-1967): पहले राज्यपाल, आईसीएस अधिकारी।
- बीएन चक्रवर्ती (1967-1976): अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी।
- हरचरण सिंह बराड़ (1977-1979): बाद में पंजाब के मुख्यमंत्री बने।
- गणपत राव देवजी तपासे (1980-1984): भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय।
- जगन्नाथ पहाड़िया (2009-2014): पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता।
- कप्तान सिंह सोलंकी (2014-2018): एक समय में तीन राज्यों के राज्यपाल का कार्यभार संभाला।
- बंडारू दत्तात्रेय (2021-2025): भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री।