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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव: 150 सांसदों ने किए हस्ताक्षर, जानिए पूरा मामला

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव: 150 सांसदों ने किए हस्ताक्षर, जानिए पूरा मामला

जस्टिस यशवंत वर्मा इन दिनों गंभीर मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो चुका है और इसी सत्र के दौरान सरकार उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।

नई दिल्ली: देश की न्यायपालिका से जुड़ा एक बड़ा मामला इन दिनों चर्चा में है। दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) लाए जाने की तैयारी जोरों पर है। सूत्रों के मुताबिक, संसद के मौजूदा मानसून सत्र 2025 में यह प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। खबर है कि अब तक इस प्रस्ताव पर करीब 150 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, 14-15 मार्च 2025 की रात दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लगने की घटना सामने आई थी। जब फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया, तो स्टोर रूम में उन्हें जली हुई 500 रुपये की नोटों की गड्डियां मिलीं। इस खुलासे के बाद पूरे न्यायिक तंत्र में हलचल मच गई।

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने तीन जजों की इन-हाउस जांच कमेटी गठित की। इस पैनल ने अपनी जांच में यह पाया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस कैश कांड (Cash Scandal) में संलिप्तता दिखाई। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि आग लगने के बाद सबूतों को नष्ट करने की जानबूझकर कोशिश की गई थी। 

रातों-रात भारी मात्रा में कैश को हटाया गया और सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को रिपोर्ट भेजते हुए महाभियोग की सिफारिश कर दी।

महाभियोग प्रस्ताव पर अब तक की स्थिति

सूत्रों के मुताबिक, अब तक सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों ने इस प्रस्ताव पर समर्थन जताते हुए हस्ताक्षर किए हैं। आंकड़ों की मानें तो करीब 150 सांसदों ने प्रस्ताव पर साइन कर दिए हैं। प्रस्ताव पर साइन करने वाले सांसदों में सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल हैं। अब यह प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष के पास भेजा जाएगा। प्रस्ताव को स्वीकार करना या अस्वीकार करना पूरी तरह से लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।

महाभियोग की प्रक्रिया क्या होगी?

अगर लोकसभा अध्यक्ष इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं तो अगला कदम होगा एक जांच कमेटी का गठन। यह कमेटी एक से तीन महीने के भीतर इस पूरे मामले की गहन जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी। अगर जांच में जस्टिस वर्मा पर लगे आरोप सही पाए गए, तो आने वाले शीतकालीन सत्र में संसद में महाभियोग प्रस्ताव को लेकर वोटिंग करवाई जाएगी।

महाभियोग प्रस्ताव पास कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से मंजूरी आवश्यक होती है। यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो जस्टिस वर्मा को पद से बर्खास्त किया जा सकता है।

सांसदों में एकजुटता, सरकार की तैयारी पूरी

सूत्रों की मानें तो सरकार इस प्रस्ताव को लेकर पूरी तरह तैयार है और इसे मानसून सत्र के दौरान ही पेश किए जाने की संभावना है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट की इन-हाउस जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ गंभीर टिप्पणियां की गई हैं, इसलिए सभी राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर आम सहमति बन चुकी है।भारतीय न्यायपालिका की साख और ईमानदारी पर जब सवाल उठते हैं तो पूरा देश गंभीरता से लेता है। 

जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे कैश कांड के आरोप और सबूतों के साथ छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोपों ने न्यायपालिका के प्रति जनता के भरोसे को गहरी चोट पहुंचाई है। इसी वजह से संसद में यह मामला बेहद संवेदनशील माना जा रहा है और सरकार इसे हल्के में नहीं लेना चाहती।

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