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हिमंत सरकार का बड़ा फैसला: 18 साल से ऊपर के लोगों का आधार कार्ड नहीं बनेगा

हिमंत सरकार का बड़ा फैसला: 18 साल से ऊपर के लोगों का आधार कार्ड नहीं बनेगा

असम सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए आधार कार्ड बनाने पर रोक लगा दी है। यह कदम अवैध घुसपैठ से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। छूट केवल चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को अगले एक साल के लिए दी गई है।

दिसपुर: असम सरकार ने 18 साल से ऊपर के निवासियों के लिए आधार कार्ड बनवाने पर रोक लगा दी है। यह निर्णय 21 अगस्त 2025 को मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने लिया, ताकि अवैध घुसपैठ करने वाले विदेशी नागरिकों को भारतीय पहचान प्राप्त न हो। इस नीति के तहत केवल चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग अगले एक साल तक आधार कार्ड बनवा सकते हैं। यह एहतियाती कदम राज्य में नागरिकता की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।

अवैध घुसपैठ रोकने के लिए कड़ा कदम

असम सरकार ने यह फैसला अवैध रूप से राज्य में रह रहे लोगों को ध्यान में रखकर लिया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने कहा कि पिछले एक साल में बांग्लादेश से संभावित घुसपैठ की आशंका को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम किसी धर्म या अन्य मानदंड पर आधारित नहीं है। इसका उद्देश्य केवल राज्य में नागरिकता की सत्यापन प्रक्रिया को मजबूत करना और भविष्य में किसी भी अवैध विदेशी को नागरिक बनने से रोकना है।

चाय बागान के लोग अब भी बनवा सकेंगे आधार

मुख्यमंत्री ने कहा कि चाय बागानों में रहने वाले आदिवासी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अगले एक साल तक आधार कार्ड जारी किया जाएगा। इससे स्थानीय समुदायों की पहचान सुरक्षित रहेगी और उन्हें आधार कार्ड प्राप्त करने में कोई बाधा नहीं होगी।

यूआईडीएआई के अनुसार, सामान्य रूप से आधार कार्ड के लिए किसी आयु सीमा का निर्धारण नहीं है। यहां तक कि नवजात शिशु भी नामांकन करा सकता है। लेकिन असम सरकार ने अपने राज्य में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए यह कदम उठाया है।

असम में आधार जांच और सख्त हुई

हिमंत बिश्व शर्मा ने जोर देकर कहा कि यह निर्णय स्थायी होगा और राज्य में घुसपैठ की आशंका को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिकों को अवैध रूप से आधार मिलने पर रोक लगेगी और यह भारतीय नागरिकता की प्रक्रिया में बड़ी बाधा साबित होगी।

यह फैसला असम में आधार कार्ड की सत्यापन प्रक्रिया को कड़ा करने के साथ-साथ राज्य में अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक अहम सुरक्षा उपाय भी है।

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