हनुमानगढ़ी मंदिर, उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य धाम में स्थित, भगवान हनुमान की पौराणिक कथा से जुड़ा है। यहां हनुमान जी ने अहिरावण को हराकर राम और लक्ष्मण को पाताल लोक से बचाया था। माना जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति मुख्य आकर्षण है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य धाम में स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर रामायण की कथा से जुड़ा पवित्र स्थल है। कहा जाता है कि हनुमान जी ने पाताल लोक में राम और लक्ष्मण को अहिरावण के चंगुल से बचाया था। इसी स्थान पर पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मंदिर बनवाया। मंदिर की विशेषता हनुमान जी की मूर्ति है, जिसमें वे राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर उठाए हुए और अहिरावण को अपने पैरों के नीचे दिखाई देते हैं। इसे दक्षिणेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
पांडवों से जुड़ा मंदिर का इतिहास
हनुमानगढ़ी मंदिर का इतिहास केवल रामायण तक ही सीमित नहीं है। कहा जाता है कि द्वापर युग में पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान नैमिषारण्य धाम आए थे। उन्होंने इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया। पांडवों के समय से जुड़े कई स्थलों की पहचान आज भी मंदिर परिसर में की जा सकती है।
मंदिर के आसपास पांडव किला भी स्थित है। यह मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहाँ कुछ समय व्यतीत किया था। इस किले और मंदिर के आसपास के क्षेत्र में पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं का संगम देखने को मिलता है।
हनुमान और अहिरावण के बीच युद्ध
कथाओं के अनुसार, अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को छल से पाताल लोक ले जाने के लिए विभीषण का रूप धारण किया। हनुमान जी ने तुरंत उनका पीछा किया और पाताल लोक में अहिरावण से भयंकर युद्ध किया। अंततः हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर दिया और राम तथा लक्ष्मण को अपने कंधों पर उठाकर सुरक्षित पृथ्वी पर लौटाया।
यह घटना हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना का मूल आधार बनी। मंदिर की मूर्ति में यही दृश्य अंकित है, जो भक्तों के लिए एक प्रेरक दृश्य है।
मंदिर की वास्तुकला और विशेषता
हनुमानगढ़ी मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की मुख्य विशेषता हनुमान जी की मूर्ति है, जिसमें वह राम और लक्ष्मण को अपने कंधों पर उठा कर पाताल लोक से लौटते हुए दिखाई देते हैं। मूर्ति के नीचे अहिरावण की छवि भी है।
मंदिर के दर्शन के दौरान भक्त भगवान हनुमान की शक्तिशाली और वीरता से भरी कथाओं का अनुभव कर सकते हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुख किए हनुमान जी के दर्शन को भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
हनुमानगढ़ी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर रामायण की कथाओं और पांडवों से जुड़े इतिहास का जीवंत प्रमाण है। यहाँ हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर परिसर में होने वाले भजन, कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठान भक्तों के लिए अध्यात्मिक अनुभव का माध्यम हैं। साथ ही, यह मंदिर क्षेत्रीय इतिहास और पौराणिक कथाओं की समझ के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है।