इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष तेज हो गया है। इजरायल ने ईरान के गैस फील्ड और रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया, जवाब में ईरान ने मिसाइल दागे। हमलों में 7 की मौत, 100 से ज्यादा घायल।
Israel-Iran conflict: पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान के बीच चला आ रहा तनाव अब बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। दोनों देशों के बीच हालिया घटनाक्रम में ड्रोन और मिसाइल हमलों का सिलसिला शुरू हो गया है, जिससे न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका है।
इजरायल का ड्रोन हमला और 'ऑपरेशन राइजिंग लायन'
गुरुवार रात इजरायल ने एक बड़ा सैन्य अभियान चलाते हुए ईरान के कई संवेदनशील स्थानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए। इस अभियान को इजरायली रक्षा मंत्रालय ने "ऑपरेशन राइजिंग लायन" नाम दिया। इजरायल का कहना है कि ये हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ एक आवश्यक कदम हैं। इजरायल का तर्क है कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है, तो वह सीधे इजरायल के अस्तित्व के लिए खतरा होगा।
ईरान की गैस फील्ड पर हमला
इन हमलों का सबसे गंभीर असर ईरान की गैस आपूर्ति पर पड़ा है। इजरायल द्वारा किए गए हमले में साउथ पारस गैस फील्ड के फेज-14 की चार गैस यूनिट्स में से एक में आग लग गई। इस हमले के चलते 12 मिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन ठप हो गया है। यह जानकारी ईरान की अर्ध-सरकारी समाचार एजेंसी तस्नीम और तेल मंत्रालय ने साझा की है।
साउथ पारस दुनिया के सबसे बड़े गैस भंडारों में से एक है, जिसे ईरान कतर के साथ साझा करता है। जहां ईरान अपनी अधिकांश गैस घरेलू खपत के लिए उपयोग करता है, वहीं कतर इस क्षेत्र से एक्सॉन और शेल जैसी वैश्विक कंपनियों के सहयोग से गैस का उत्पादन कर यूरोप और एशिया को निर्यात करता है।
ईरान की जवाबी कार्रवाई
इजरायल की सैन्य कार्रवाई के जवाब में ईरान ने शुक्रवार को 100 से अधिक ड्रोन और कई मिसाइलें इजरायल की ओर दागीं। इन हमलों में इजरायल के उत्तरी क्षेत्रों को निशाना बनाया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में 7 लोगों की मौत हुई है, जिसमें एक बच्चा भी शामिल है। इसके अलावा, करीब 100 लोग घायल हुए हैं।
हालांकि इजरायल की Iron Dome एयर डिफेंस प्रणाली ने कई ड्रोन और मिसाइलों को रास्ते में ही मार गिराया, लेकिन कई हमले सफल रहे और उन्होंने सैन्य और नागरिक दोनों ढांचों को नुकसान पहुंचाया।
ईरान की गैस रणनीति और वैश्विक चिंता
ईरान हर साल लगभग 275 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन करता है, जो विश्व के कुल उत्पादन का करीब 6.5 प्रतिशत है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के चलते ईरान इस गैस का निर्यात नहीं कर पाता और अधिकतर घरेलू खपत में ही उपयोग करता है। लेकिन अगर यही संघर्ष लंबा चलता है और गैस उत्पादन बाधित होता है, तो इससे ईरान की आंतरिक अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ सकता है। साथ ही यह क्षेत्रीय ऊर्जा संतुलन के लिए भी संकटपूर्ण हो सकता है।