इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान को क्वालिटी बार अवैध कब्जा मामले में जमानत दे दी है। हालांकि, अन्य केसों के कारण वह अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी।
New Delhi: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने रामपुर के क्वालिटी बार अवैध कब्जा मामले में उनकी जमानत याचिका मंजूर कर ली है। जस्टिस समीर जैन की सिंगल बेंच ने यह आदेश दिया।
जमानत के बावजूद जेल से रिहाई नहीं
हालांकि, जमानत मिलने के बाद भी आज़म खान अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। वजह यह है कि उन पर कई और मुकदमे दर्ज हैं और उनमें सुनवाई जारी है। कोर्ट ने उन्हें 20 सितंबर को फिर पेश होने का आदेश दिया है। यानी रिहाई का रास्ता अभी साफ नहीं हुआ है।
क्या है क्वालिटी बार का मामला
यह केस रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के हाईवे पर स्थित क्वालिटी बार की जमीन से जुड़ा है। आरोप है कि 2019 में आज़म खान ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस जमीन पर अवैध कब्जा किया। उस समय वह उत्तर प्रदेश सरकार में नगर विकास मंत्री थे। पुलिस ने जांच के बाद 2024 में उन्हें इस मामले में आरोपी बनाया।
मामला 2019 में दर्ज हुआ था लेकिन इसकी जांच लंबी चली। 2024 में आज़म खान को अभियुक्त बनाकर चार्जशीट दाखिल की गई। आरोप है कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग कर संपत्ति पर कब्जा किया। विपक्ष ने इसे सत्ता का दुरुपयोग बताते हुए खूब आलोचना की थी।
20 सितंबर को अगली सुनवाई
हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी। कोर्ट ने साफ किया है कि उस दिन आज़म खान को पेश होना अनिवार्य है। अभी उन पर एक और केस लंबित है, जिसमें जमानत मिलना बाकी है। ऐसे में रिहाई तभी संभव होगी जब बाकी केसों में भी उन्हें राहत मिले।
कई केसों में फंसे आज़म खान
आजम खान बीते दो साल से ज्यादा समय से सीतापुर जेल में बंद हैं। रामपुर और मुरादाबाद में उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इनमें अवैध कब्जा, धोखाधड़ी, घोटाले और सत्ता का दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। दो मामलों में उन्हें पहले ही सजा हो चुकी है, जिसकी वजह से उनकी जेल से बाहर निकलना मुश्किल बना हुआ है।
हाईकोर्ट का पहले का रुख
इस मामले में हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 19 सितंबर को कोर्ट ने जमानत याचिका मंजूर कर दी। हालांकि कोर्ट ने साफ कहा कि यह राहत केवल क्वालिटी बार कब्जा मामले में है, अन्य केसों की सुनवाई अलग-अलग अदालतों में जारी रहेगी।