वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को आयकर के प्रधान मुख्य आयुक्तों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए आयकर विभाग को लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के निर्देश दिए हैं।
केंद्र सरकार ने इनकम टैक्स मामलों को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वे उन सभी अपीलों की पहचान करें जो केंद्र सरकार द्वारा बजट 2024-25 में निर्धारित की गई नई सीमा से कम राशि से संबंधित हैं, और उन्हें तीन महीने के भीतर वापस लें। इस निर्णय का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ को कम करना और करदाताओं को राहत देना है।
टैक्स विवादों के जल्द निपटारे की पहल
सोमवार को आयोजित आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्तों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि लंबे समय से अटकी पड़ी विभागीय अपीलों को अब प्राथमिकता के साथ निपटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई मामलों में अपील की राशि बहुत कम है, फिर भी वे वर्षों से न्यायालयों में लंबित हैं, जिससे न केवल करदाताओं की परेशानी बढ़ती है, बल्कि न्यायपालिका पर भी दबाव बनता है।
तीन महीने में हो अपीलों का निस्तारण
वित्त मंत्री ने आयकर अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन मामलों की पहचान करें जिनकी अपील की राशि, हाल ही में संशोधित सीमा से कम है और उन्हें तीन महीने के भीतर वापस लिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे न्यायालयों का समय बचेगा और अधिक गंभीर व बड़ी राशि वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।
टैक्स अपील की नई सीमाएं
वर्ष 2024-25 के बजट में सरकार ने टैक्स विवादों में अपील की सीमा को बढ़ा दिया था। अब इनकम टैक्स विभाग केवल उन्हीं मामलों में उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा जिनमें विवादित राशि नई सीमा से अधिक हो। संशोधित सीमा निम्न प्रकार है
- ITAT (Income Tax Appellate Tribunal): पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 60 लाख रुपये कर दिया गया है।
- हाई कोर्ट: पहले की सीमा 1 करोड़ रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट: पहले की सीमा 2 करोड़ रुपये थी, अब इसे 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
यह फैसला उन मामलों पर लागू होता है जो केवल इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई अपीलों से संबंधित हैं, यानी करदाता द्वारा की गई अपीलें इससे प्रभावित नहीं होंगी।
4600 अपीलें पहले ही हो चुकी हैं वापस
वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि बजट में संशोधित सीमा लागू किए जाने के बाद से अब तक 4600 से अधिक अपीलें पहले ही वापस ली जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, 3100 से अधिक मामले ऐसे हैं जो नई सीमा के तहत आते हैं और अभी भी लंबित हैं।
यह पहल न केवल करदाताओं को राहत देने के मकसद से की जा रही है, बल्कि विभागीय संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए भी है। इससे कर प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा मिलेगा।
FY 26 तक 2.25 लाख अपीलों के निपटारे का लक्ष्य
वित्त मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि वर्ष 2026 तक 2.25 लाख लंबित अपीलों को निपटाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में आयकर विभाग के पास कुल 5.77 लाख अपीलें लंबित हैं, जिनमें से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विवादित राशि फंसी हुई है।
इस अभियान के अंतर्गत विभाग का प्रयास होगा कि छोटे और कम राशि वाले मामलों को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए, जिससे न केवल राजस्व में सुधार हो, बल्कि न्यायिक प्रक्रियाएं भी सुचारू रूप से आगे बढ़ सकें।
करदाताओं को मिलेगा सीधा लाभ
इस पहल से उन करदाताओं को सीधे तौर पर राहत मिलेगी जिनके मामले वर्षों से अदालतों में लंबित हैं, और जिनकी विवादित राशि सरकार की अब तय की गई सीमा से कम है। अब इन मामलों में उन्हें कोई अतिरिक्त कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ेगा और न ही अपील का इंतजार करना होगा।
यह एक सकारात्मक संदेश है कि सरकार छोटे करदाताओं को लेकर गंभीर है और न्यायिक बोझ को कम करके टैक्स सिस्टम को सरल और व्यवहारिक बनाना चाहती है।
आयकर प्रशासन में सुधार की दिशा में कदम
वित्त मंत्री के इस निर्देश को आयकर प्रशासन में सुधार की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल अदालतों का बोझ कम होगा, बल्कि आयकर विभाग के अधिकारियों को भी अधिक गंभीर और उच्च मूल्य वाले मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिलेगा।
इसके अलावा, करदाताओं और सरकार के बीच विवाद की स्थिति को कम करने में भी यह निर्णय सहायक होगा। इससे विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और गति का समावेश होगा।