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इटावा कथावाचक विवाद पर भड़के बागेश्वर धाम सरकार, पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बोले, अगर दोषी है तो सजा मिलनी चाहिए

इटावा कथावाचक विवाद पर भड़के बागेश्वर धाम सरकार, पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बोले, अगर दोषी है तो सजा मिलनी चाहिए

उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार का मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। अब इस मुद्दे पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भी तीखा बयान सामने आया है। उन्होंने इसे पूरी तरह से निंदनीय बताते हुए सवाल उठाया कि आखिर भगवान की कथा कहने के लिए जाति की शर्त क्यों लगाई जा रही है?

25 दिन की विदेश यात्रा से लौटने के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने वीडियो संदेश के जरिए इस विवाद पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, जब हम विदेश में थे, तब देश में कई घटनाएं घटीं। उनमें से इटावा की घटना बेहद विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी भी जाति, वर्ग या धर्म का व्यक्ति भगवान की कथा कर सकता है। यह अधिकार सबको है, इसे जाति से नहीं जोड़ा जा सकता।

उन्होंने कहा कि वेदव्यास, वाल्मीकि, मीरा, कबीर और गुरुनानक जैसे संतों ने भी ईश्वर की भक्ति की, और उनकी पहचान उनके ज्ञान और भक्ति से बनी, न कि जाति से। कथा और भक्ति पर जाति का ठप्पा लगाना सनातन धर्म की मूल भावना के खिलाफ है, उन्होंने जोड़ा।

अपराध किया है तो कानून सज़ा देगा

धीरेंद्र शास्त्री ने साफ कहा कि अगर किसी ने वास्तव में कोई अपराध किया है, तो कानून और न्यायपालिका के जरिए उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। हमें खुद न्यायपालिका बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे समाज में विद्रोह और जातिवाद को बढ़ावा मिलता है।

उन्होंने उन नेताओं को भी घेरा जो जाति के आधार पर राजनीति कर रहे हैं। जो लोग जातिवाद को भड़काकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं, उन्हें अब करारा जवाब मिलना चाहिए। देश को जोड़ने की जरूरत है, न कि तोड़ने की, शास्त्री ने दो टूक कहा।

हिंदू एकता के लिए निकलेगी पदयात्रा

धर्म और सामाजिक समरसता को मजबूत करने के उद्देश्य से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने आगामी नवंबर में एक विशेष पदयात्रा का ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा 7 नवंबर से शुरू होकर 16 नवंबर तक चलेगी, जो दिल्ली से वृंदावन तक निकाली जाएगी। इस दौरान वे ग्रामीण इलाकों और नगर गलियों में जाकर लोगों से संवाद करेंगे और उन्हें जातिवाद, भेदभाव व छुआछूत से ऊपर उठकर एकजुट होने का संदेश देंगे।

अगर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है, तो पहले जातिवाद की दीवारें गिरानी होंगी और राष्ट्रवाद को अपनाना होगा। यही इस पदयात्रा का उद्देश्य है, ताकि लोग जाति-पाति, छुआछूत और भेदभाव से ऊपर उठें और एकजुट हों, शास्त्री ने कहा।

जातिवाद के खिलाफ संदेश और सनातन की मूल भावना की बात

देशभर में जातिगत मुद्दों को लेकर चल रही बहस के बीच धीरेंद्र शास्त्री की टिप्पणी ने इटावा विवाद को नई दिशा दे दी है। उनके बयान को धर्म और समाज को जोड़ने वाले प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल सनातन परंपरा की रक्षा की बात करता है बल्कि सामाजिक समरसता की भी वकालत करता है।

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