देश में क्रेडिट कार्ड यूज करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है। खासकर युवा पीढ़ी में इसका चलन तेजी से फैला है। मोबाइल खरीदारी से लेकर ट्रैवल, ऑनलाइन शॉपिंग और यहां तक कि छोटे-मोटे खर्चे भी अब क्रेडिट कार्ड से पूरे किए जा रहे हैं। कई युवा अब सिर्फ खर्च ही नहीं, जरूरत पड़ने पर सीधे क्रेडिट कार्ड से लोन लेने लगे हैं।
बैंक भी कर रहे हैं प्रमोट
बैंक और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस क्रेडिट कार्ड पर लोन को बढ़ावा देने में जुटे हैं। वजह साफ है इसमें उन्हें मोटा ब्याज मिलता है। बैंक ग्राहकों को SMS, Email और App के जरिए इस तरह के लोन के लिए ऑफर भेजते हैं। 'Instant Loan on Credit Card', 'Pre-approved loan' जैसे मैसेज हर दिन लोगों तक पहुंचते हैं।
क्रेडिट कार्ड से लोन लेना बेहद आसान होता है। न कोई लंबी डॉक्युमेंटेशन प्रक्रिया, न KYC की झंझट। कार्ड होल्डर को बस बैंक की एप या वेबसाइट पर जाकर लोन का अमाउंट चुनना होता है और पैसा सीधे अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है। कुछ मामलों में तो बैंक खुद फोन कर लोन लेने का ऑफर देता है।
हालांकि जितना आसान लोन मिलना है, उससे कहीं ज्यादा कठिन है उसका भुगतान करना। क्रेडिट कार्ड से लिया गया लोन बहुत महंगा साबित होता है। इस पर लगने वाला ब्याज आमतौर पर 18 से 24 प्रतिशत सालाना तक हो सकता है। कुछ मामलों में यह 40 से 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, अगर ब्याज की गणना मासिक दर (Monthly Interest Rate) के आधार पर की जाए।
ईएमआई में छिपा बड़ा फर्क
क्रेडिट कार्ड से लोन लेने पर बैंक हर महीने एक तय EMI तय कर देता है। इस EMI में Principal और Interest दोनों शामिल होते हैं। वहीं, Personal Loan या Home Loan में ब्याज घटती हुई दर (Reducing Interest Rate) पर लगता है। लेकिन Credit Card Loan में ब्याज Flat Rate पर तय होता है, जिससे कुल भुगतान ज्यादा हो जाता है।
क्रेडिट कार्ड लोन पर सिर्फ ब्याज ही नहीं, कई दूसरे चार्ज भी लगते हैं। जैसे प्रोसेसिंग फीस 1 से 2 प्रतिशत तक होती है। अगर ग्राहक लोन जल्दी चुकाता है तो उस पर 3 से 5 प्रतिशत तक प्री-पेमेंट पेनल्टी भी लग सकती है।
अगर कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये का लोन क्रेडिट कार्ड से लेता है और उस पर ब्याज दर 1.25 प्रतिशत प्रति माह लगाई जाती है, तो साल भर में उसे लगभग 15,000 रुपये तक का ब्याज चुकाना पड़ता है। वहीं अगर यही लोन 13 प्रतिशत सालाना Reducing Interest पर किसी Personal Loan से लिया जाए, तो ब्याज लगभग 6,800 रुपये तक होगा।
इस अंतर से साफ है कि क्रेडिट कार्ड से लिए गए लोन पर आपको लगभग 40 से 50 प्रतिशत ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है।
बैंक को होता है फायदा
बैंक के लिए यह स्कीम बहुत फायदे का सौदा होती है। उन्हें बिना ज्यादा रिस्क के उच्च ब्याज पर पैसा देना होता है और ग्राहक इसे Convenience मानकर तुरंत लोन ले लेता है। ग्राहक के लिए शुरुआत में यह आसान लगता है, लेकिन धीरे-धीरे EMI का बोझ बढ़ने लगता है और आर्थिक स्थिति पर असर डालता है।
लोन की वसूली में सख्ती
अगर ग्राहक EMI समय पर नहीं भरता तो उस पर लेट पेमेंट चार्ज, पेनल्टी और बढ़ी हुई ब्याज दर लगती है। साथ ही, Credit Score पर भी बुरा असर पड़ता है। क्रेडिट कार्ड लोन डिफॉल्ट करने वाले ग्राहकों को कई बार रिकवरी कॉल और कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ता है।
महंगाई, बढ़ते खर्चे और युवाओं की 'Live Now, Pay Later' मानसिकता इस ट्रेंड को तेजी से बढ़ा रही है। आज की जेनरेशन जल्दी फैसले लेती है, और Immediate Cash की जरूरत के लिए क्रेडिट कार्ड लोन को सबसे आसान विकल्प मानती है। लेकिन कई बार यह जरूरत बड़ी आर्थिक परेशानी में बदल जाती है।
लोन ऑफर की मार्केटिंग तेज
फेस्टिव सीजन, वैलेंटाइन डे, न्यू ईयर या बिग सेल जैसे मौकों पर बैंक क्रेडिट कार्ड लोन को खासतौर पर प्रमोट करते हैं। 'No Documentation', 'Quick Disbursal', 'Zero Processing Fee for Limited Time' जैसे ऑफर्स के जरिए लोगों को आकर्षित किया जाता है।
क्रेडिट कार्ड लोन से जुड़ी RBI की रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले दो वर्षों में ऐसे लोन लेने वालों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। शहरी इलाकों में इसका प्रचलन ज्यादा है, लेकिन अब छोटे शहरों और कस्बों में भी यह तेजी से बढ़ रहा है।
बढ़ता लोन, बढ़ती परेशानी
हाल ही में आई एक निजी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 18 से 35 वर्ष के बीच के करीब 60 प्रतिशत युवा क्रेडिट कार्ड का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं और उनमें से हर पांचवां व्यक्ति कार्ड से लोन भी ले चुका है।
क्रेडिट कार्ड लोन का सीधा असर लोगों की मंथली इनकम और सेविंग्स पर पड़ता है। एक तय EMI चुकाते-चुकाते न तो नई सेविंग हो पाती है और न ही कोई दूसरा निवेश किया जा सकता है। साथ ही कई बार दूसरी जरूरतों के लिए भी फिर से नया लोन लेना पड़ता है।