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कर्नाटक हाईकोर्ट ने जातिगत सर्वेक्षण पर रोक से किया इंकार, कहा- भागीदारी स्वैच्छिक होगी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने जातिगत सर्वेक्षण पर रोक से किया इंकार, कहा- भागीदारी स्वैच्छिक होगी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने जाति-आधारित सर्वेक्षण पर रोक नहीं लगाई। अदालत ने कहा कि भागीदारी स्वैच्छिक होगी और आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। अगली सुनवाई 2 दिसंबर 2025 को होगी।

Karnataka: कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार, 25 सितंबर 2025 को जाति-आधारित सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह सर्वेक्षण राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा चलाया जा रहा है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि यह सर्वेक्षण वास्तव में जनगणना की आड़ में किया जा रहा है और यह उसके अधिकार क्षेत्र में दखल है। हालांकि न्यायालय ने तत्कालीन रोक नहीं लगाई, लेकिन सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए।

कोर्ट ने दिया स्वैच्छिक भागीदारी का निर्देश

कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और जस्टिस सी. एम. जोशी की खंडपीठ ने कहा कि सर्वेक्षण जारी रखने में कोई कानूनी रोक नहीं है, लेकिन नागरिकों को यह स्पष्ट रूप से सूचित किया जाना चाहिए कि भागीदारी स्वैच्छिक (voluntary) है। कोर्ट ने कहा कि गणना करने वालों को किसी भी व्यक्ति पर दबाव डालने या उन्हें भाग लेने के लिए मनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इस निर्देश का उद्देश्य नागरिकों की निजता (privacy) और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

गोपनीयता और आंकड़ों का संरक्षण

कोर्ट ने विशेष रूप से कहा कि सर्वेक्षण के दौरान एकत्रित आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखी जाए। किसी भी व्यक्ति का डेटा सार्वजनिक न किया जाए और इसे केवल पूर्वनिर्धारित उद्देश्य के लिए ही इस्तेमाल किया जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पिछड़ा वर्ग आयोग को सुनिश्चित करना होगा कि डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे और नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा न हो।

याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे

इस सर्वेक्षण की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में तर्क दिया गया कि यह प्रक्रिया मुख्य रूप से एक जनगणना (census) है और इससे नागरिकों की निजता का हनन हो सकता है। याचिकाकर्ताओं में राज्य वोक्कालिगा संघ, वोक्कालिगा समुदाय के सदस्य, बेंगलुरु अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष के एन सुब्बा रेड्डी, लिंगायत समुदाय के सदस्य और अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा शामिल हैं।

राज्य की ओर से आश्वासन

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अदालत को आश्वासन दिया कि सर्वेक्षण में पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि अगर आवश्यक हुआ तो इस मामले पर एक हलफनामा प्रस्तुत करने की पेशकश की जा सकती है। इसके अलावा, राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए सीनियर एडवोकेट रवि वर्मा कुमार ने पैरवी की।

कोर्ट ने दी लिखित दलीलें पेश करने की अनुमति

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को आने वाले हफ्तों में अतिरिक्त लिखित दलीलें प्रस्तुत करने की अनुमति दी है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 दिसंबर 2025 की तारीख तय की है।

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