भारत ने आय असमानता को कम करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का गिनी इंडेक्स स्कोर 25.5 दर्ज किया गया है, जो वैश्विक स्तर पर उसे चौथे सबसे समान देश के रूप में स्थापित करता है।
भारत ने आय समानता के मामले में दुनिया के कई विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए चौथा स्थान हासिल किया है। वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का गिनी इंडेक्स स्कोर 25.5 दर्ज किया गया है, जो अमेरिका और चीन जैसे देशों से कहीं बेहतर है। गिनी इंडेक्स वह पैमाना है, जिससे किसी देश में आय और संपत्ति के बंटवारे की समानता को मापा जाता है।
गिनी इंडेक्स क्या है और इसका मतलब क्या होता है
गिनी इंडेक्स 0 से 100 के बीच का स्कोर होता है। यदि किसी देश का स्कोर 0 है, तो इसका मतलब है वहां पूरी समानता है, यानी सबकी आमदनी और संपत्ति बराबर है। वहीं अगर स्कोर 100 है, तो इसका मतलब है कि पूरा धन और संसाधन केवल एक व्यक्ति के पास है और बाकी सभी खाली हाथ हैं। भारत का 25.5 का स्कोर यह दर्शाता है कि देश में आय का बंटवारा काफी संतुलित है। यह स्कोर 'मध्यम-निम्न' असमानता वाले देशों की श्रेणी में आता है।
एक दशक में हुआ जबरदस्त सुधार
2011 में भारत का गिनी इंडेक्स 28.8 था, जो अब घटकर 25.5 रह गया है। यह दिखाता है कि पिछले दस वर्षों में देश में संसाधनों और आमदनी का वितरण पहले से अधिक संतुलित हुआ है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है गरीबी में भारी कमी और सरकार की योजनाएं, जो सीधे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आईं।
17 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर आए
वर्ल्ड बैंक की 2025 की 'स्प्रिंग पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ' रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस वर्षों में भारत में 17.1 करोड़ लोगों ने अत्यधिक गरीबी से छुटकारा पाया है। 2011-12 में जहां 16.2 प्रतिशत लोग 2.15 डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन बिता रहे थे, वहीं 2022-23 में यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 2.3 प्रतिशत रह गया।
नई गरीबी की सीमा के अनुसार, यानी 3.00 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से भारत की गरीबी दर सिर्फ 5.3 प्रतिशत अनुमानित की गई है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में अब पहले की तुलना में ज्यादा लोगों को आर्थिक स्थिरता और जीवन के बुनियादी साधन उपलब्ध हो रहे हैं।
स्टैंड-अप इंडिया और विश्वकर्मा योजना
स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत 2.75 लाख से ज्यादा SC/ST और महिला उद्यमियों को 62,800 करोड़ रुपये से अधिक के लोन दिए गए हैं। वहीं, पीएम विश्वकर्मा योजना से करीब 30 लाख पारंपरिक कारीगरों को आधुनिक टूलकिट, ट्रेनिंग और लोन की सुविधा दी गई है, जिससे उनके व्यवसाय को मजबूती मिली।
आर्थिक समानता के पीछे योजनाओं की बड़ी भूमिका
इस परिवर्तन के पीछे कई सरकारी योजनाओं ने अहम योगदान दिया है। खासकर वो योजनाएं जो समाज के निचले तबकों, महिलाओं, कारीगरों और किसानों तक सीधे पहुंची हैं, उन्होंने आय समानता लाने में निर्णायक भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना से करोड़ों को बैंकिंग सेवा मिली
जन धन योजना के तहत अब तक 55.69 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इस योजना ने उन लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा जो पहले तक इन सेवाओं से वंचित थे। इससे सरकारी लाभ सीधे खाते में पहुंचा और बिचौलियों की भूमिका घटी।
आयुष्मान भारत योजना से मिला स्वास्थ्य सुरक्षा कवच
इस योजना के तहत अब तक 41.34 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल चुका है। योजना के तहत हर परिवार को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है और इसमें देश के 32,000 अस्पताल शामिल हैं। खास बात यह है कि इसमें 70 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए भी खास प्रावधान किए गए हैं।
गरीब कल्याण अन्न योजना से संकट के समय राहत
कोरोना काल के दौरान शुरू की गई पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80.67 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराया गया। यह योजना अब भी जारी है और इससे करोड़ों परिवारों को खाद्य सुरक्षा मिली है।
चीन, अमेरिका और G20 देशों से बेहतर प्रदर्शन
भारत ने इस सूची में चीन (35.7) और अमेरिका (41.8) जैसे बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है। इतना ही नहीं, भारत का प्रदर्शन हर G7 और G20 देश से बेहतर रहा है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि आय समानता के लिहाज से भारत अब नॉर्वे, फिनलैंड, आइसलैंड और यूएई जैसे देशों की कतार में आ खड़ा हुआ है। कुल मिलाकर इस श्रेणी में करीब 30 देश शामिल हैं।