मुख्यमंत्री फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने का ऑफर दिया। मजाकिया अंदाज में दिया गया यह बयान और फिर हुई मुलाकात से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
Maharashtra: महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने का ऑफर दिया है। मजाकिया लहजे में दिए गए इस बयान के बाद दोनों नेताओं की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। क्या यह बयान सिर्फ राजनीतिक ह्यूमर था या कोई गंभीर संदेश? क्या महाराष्ट्र की राजनीति में कोई नया समीकरण बनने जा रहा है? आइए, विस्तार से समझते हैं।
विधान परिषद में फडणवीस का चौंकाने वाला बयान
महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार का दिन खासा दिलचस्प रहा। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे के विदाई समारोह के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंच से एक ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया।
फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने का प्रस्ताव दे डाला। उन्होंने कहा, “उद्धव जी, 2029 तक मेरी विपक्ष में आने की कोई संभावना नहीं है। आप चाहें तो सत्ता पक्ष में आ सकते हैं। लेकिन इसके लिए थोड़ा अलग सोचने की ज़रूरत होगी।”
उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया और अगली मुलाकात
फडणवीस के इस बयान के बाद लोगों की नजरें उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया पर थीं। उन्होंने मंच पर ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने राजनीतिक समीकरणों को लेकर चर्चाएं तेज कर दीं।
17 जुलाई को उद्धव ठाकरे और फडणवीस के बीच मुलाकात हुई, जो काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि यह बैठक किस मुद्दे पर हुई और कितनी देर चली, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे एक संकेत के रूप में देख रहे हैं कि महाराष्ट्र में गठबंधन की नई तस्वीर बन सकती है।
शिवसेना (UBT) और बीजेपी
उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (UBT) और बीजेपी का रिश्ता काफी लंबा और उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद दोनों पार्टियों के बीच संबंध टूट गए थे, जब उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अलग होकर NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई थी।
लेकिन वर्तमान समय में, NCP में शरद पवार और अजीत पवार के गुटों के बीच दरार, कांग्रेस की कमजोर स्थिति और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) की सत्ता में भागीदारी ने उद्धव ठाकरे के राजनीतिक विकल्प सीमित कर दिए हैं। ऐसे में यदि शिवसेना (UBT) एक बार फिर भाजपा के करीब आती है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।