उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिला। समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए अपने तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में सोमवार को भूचाल उस वक्त आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने तीन विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया। निष्कासित विधायकों में सबसे चर्चित नाम रहा ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडे का, जिन्होंने एबीपी लाइव से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, “मैं बागी नहीं हूं, मैंने सिर्फ अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग किया है।
सपा से निष्कासन के बाद मनोज पांडे की दो टूक
सपा के पूर्व मुख्य सचेतक और वरिष्ठ नेता मनोज पांडे ने अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे बागी कहना गलत है। जब मैं पार्टी छोड़ रहा था तब भी मैं मुख्य सचेतक था। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि राज्यसभा चुनाव में विधायक अपनी इच्छानुसार मतदान कर सकते हैं। यह मेरा संवैधानिक अधिकार है, कोई द्रोह नहीं। उन्होंने आगे कहा कि यह सवाल पार्टी के उन नेताओं से पूछा जाना चाहिए जिन्होंने ऐसी परिस्थितियां पैदा कीं जिससे यह स्थिति बनी।
मनोज पांडे ने अपने साक्षात्कार में सपा से दूरी की असल वजह भी सामने रखी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे उस दल में नहीं रह सकते जहां रामचरितमानस की आलोचना होती हो, गंगा नदी को 'नाला' कहा जाता हो और सीता माता के लिए अपमानजनक शब्द बोले जाते हों। 135 करोड़ की आबादी वाले देश में करीब 110 करोड़ लोग सनातनी हैं। ऐसे में उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कैसे किया जा सकता है? मैंने पार्टी के भीतर इसका विरोध किया, लेकिन जब मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया गया, तब मुझे फैसला लेना पड़ा।
राजनीति मेरे लिए पैसा कमाने का साधन नहीं
पूर्व सपा विधायक ने दावा किया कि उन्होंने राजनीति को सेवा और सम्मान के लिए चुना, न कि सुविधा और लाभ के लिए। उन्होंने कहा: राजनीति मेरे लिए कोई आय का जरिया नहीं, बल्कि एक संकल्प है समाज के हर वर्ग को सम्मान दिलाने का। चाहे वह गरीब हो, दलित हो या अगड़ा-पिछड़ा। अनुग्रह शब्द पर उठे सवाल पर मनोज पांडे ने स्पष्ट किया कि उन्हें किसी दल या नेता का अनुग्रह नहीं चाहिए। मुझे सिर्फ ऊंचाहार की जनता, भारत माता और परमेश्वर का आशीर्वाद चाहिए। बाकी किसी का अनुग्रह नहीं चाहिए।