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मध्य प्रदेश-राजस्थान में कफ सिरप मामला, 18 बच्चों की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

मध्य प्रदेश-राजस्थान में कफ सिरप मामला, 18 बच्चों की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से 18 बच्चों की मौत के मामले में वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई जांच और स्टॉक जब्त करने की मांग की।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप (cold syrup) पीने से बच्चों की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक पहुँच गया है। इस मामले में वकील विशाल तिवारी ने जनहित याचिका (Public Interest Litigation) दायर कर मांग की है कि इस मामले की स्वतंत्र जांच सीबीआई (CBI) द्वारा की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। याचिका में कहा गया है कि इस सिरप के निर्माण और वितरण में हुई लापरवाही ने मासूम बच्चों की जान ली है।

सीबीआई जांच और स्टॉक जब्त करने की मांग

जनहित याचिका में मांग की गई है कि मौजूदा कफ सिरप के सभी स्टॉक को तुरंत जब्त किया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि केवल बिक्री बंद करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पूरे स्टॉक और निर्माण प्रक्रिया की जांच होना जरूरी है। इसके साथ ही, याचिका में यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि सभी FIR (First Information Report) की जांच सीबीआई को सौंपी जाए और कोई भी मामला सरकारी या स्थानीय दबाव में प्रभावित न हो।

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच

याचिका में यह भी कहा गया है कि कफ सिरप के निर्माण, रेगुलेशन (regulation), टेस्टिंग (testing) और डिस्ट्रीब्यूशन (distribution) की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी (monitoring) में हो। इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी (transparent) हो और भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा न हों।

मौतों का विस्तृत आंकड़ा

अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुल 18 बच्चों की मौत दर्ज की गई है। इनमें से 16 मौतें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हुई हैं, जबकि राजस्थान के भरतपुर और सीकर जिले में 2 बच्चों की जान गई। प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि कफ सिरप में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol – DEG) नामक जहरीला रसायन मिला, जो किडनी फेलियर (kidney failure) का कारण बन रहा है।

केंद्र और राज्य सरकारों का रुख

केंद्र सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए छह राज्यों में 19 दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर जोखिम आधारित निरीक्षण (risk-based inspection) शुरू किया है। यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है कि अन्य दवाओं में भी कोई जहरीला तत्व न हो। इसके साथ ही, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी किया और तत्काल जांच करने तथा नकली दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया।

अभिभावकों के लिए चेतावनी

विशाल तिवारी और अन्य विशेषज्ञों ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को कोई भी कफ सिरप देते समय सावधानी बरतें। केवल सरकारी प्रमाणित (government-approved) और टेस्टिंग (tested) के साथ आने वाली दवाओं का ही सेवन कराएं। साथ ही, किसी भी संदिग्ध सिरप या दवा की जानकारी स्वास्थ्य विभाग या CBI को तुरंत दें।

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