महिलाओं में पीरियड्स का लेट आना कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है, जैसे हॉर्मोनल इम्बैलेंस, थायरॉइड, PCOS, एनीमिया, तनाव, डायबिटीज या लिवर की समस्या। प्रेगनेंसी, ब्रेस्टफीडिंग और गलत लाइफस्टाइल भी इसके कारण बन सकते हैं। समय पर डॉक्टर से जांच और उचित जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
late periods: महिलाओं में पीरियड्स सामान्यतः हर 21 से 35 दिन में आते हैं और यह रीप्रोडक्टिव हेल्थ और हॉर्मोनल बैलेंस का संकेत देते हैं। हालांकि, पीरियड्स का लेट आना हॉर्मोनल इम्बैलेंस, थायरॉइड समस्या, PCOS, तनाव, अत्यधिक वजन, एनीमिया, डायबिटीज या लिवर की बीमारी जैसे कारणों से हो सकता है। डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार समय पर जांच, जीवनशैली सुधार और डॉक्टर की सलाह से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
लेट पीरियड्स के साथ दिखाई देने वाले लक्षण
पीरियड्स लेट होने पर कई बार अन्य शारीरिक लक्षण भी दिखाई देते हैं। इनमें पेट में दर्द या ऐंठन, पीठ दर्द, अचानक वजन बढ़ना या घटना, बाल झड़ना, त्वचा में बदलाव, अत्यधिक थकान, नींद कम होना और मूड स्विंग जैसी समस्याएं शामिल हैं। ऐसे मामलों में महिलाओं को चाहिए कि वे अपने पीरियड्स का नियमित रिकॉर्ड रखें। किसी भी असामान्य बदलाव पर ध्यान देने से संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का समय पर पता लगाया जा सकता है और इलाज जल्दी शुरू किया जा सकता है।
पीरियड्स लेट होने के मुख्य कारण
आरएमएल हॉस्पिटल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं कि पीरियड्स लेट होने के कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण हॉर्मोनल इम्बैलेंस है, जिसमें एस्ट्रोज़न और प्रोजेस्टेरोन का स्तर सही नहीं रहता। इसके अलावा, थायरॉइड की समस्या, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), एनीमिया, अत्यधिक वजन, तनाव और गलत लाइफस्टाइल भी पीरियड्स के समय को प्रभावित कर सकते हैं।
अत्यधिक शारीरिक मेहनत, हॉर्मोनल दवाइयां और लंबे समय तक हॉर्मोन थेरेपी लेने वाली महिलाओं में भी पीरियड्स देर से आने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, प्रेगनेंसी, ब्रेस्टफीडिंग और कुछ गंभीर बीमारियां जैसे डायबिटीज या लिवर की समस्याएं भी पीरियड्स के लेट आने का कारण बन सकती हैं।
स्वास्थ्य जांच और मॉनिटरिंग
पीरियड्स का नियमित रिकॉर्ड रखना और समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है। यदि पीरियड्स लगातार लेट आ रहे हैं, तो थायरॉइड और हॉर्मोनल टेस्ट कराना उपयोगी हो सकता है। इससे हॉर्मोनल असंतुलन या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का पता जल्दी लगाया जा सकता है।
जीवनशैली में सुधार
सर्दियों या अन्य मौसम में पीरियड्स के नियमित आने के लिए महिलाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की जरूरत है। इसमें संतुलित डाइट लेना, नियमित हल्की एक्सरसाइज या योग करना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव कम करना शामिल है। वजन को नियंत्रित रखना भी जरूरी है। हॉर्मोनल दवाइयां केवल डॉक्टर की सलाह से ही लें।
पीरियड्स की सही मॉनिटरिंग और समय पर जांच से न केवल महिलाओं की रीप्रोडक्टिव हेल्थ बनी रहती है बल्कि हॉर्मोनल और मेटाबॉलिक सिस्टम भी संतुलित रहता है। महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज न करें और समय रहते स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें।