देश की जानी-मानी फैशन ई-कॉमर्स कंपनी मिंत्रा पर प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने मिंत्रा डिजाइंस प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी अन्य कंपनियों पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी फेमा के तहत 1654 करोड़ रुपये से ज्यादा के मामले में केस दर्ज किया है। आरोप है कि कंपनी ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के नियमों का उल्लंघन किया है।
थोक की जगह चल रहा था मल्टी ब्रांड खुदरा व्यापार
सूत्रों के मुताबिक ईडी को यह जानकारी मिली थी कि मिंत्रा और उसकी सहयोगी कंपनियां अपने कारोबार को 'थोक कैश एंड कैरी' बताकर असल में मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग कर रही थीं। जो मौजूदा एफडीआई नियमों के तहत अनुमति प्राप्त नहीं है। मिंत्रा पर आरोप है कि उसने नियमों से बचने और विदेशी निवेश हासिल करने के लिए कारोबारी संरचना का ऐसा तरीका अपनाया जिससे वह सीधे उपभोक्ताओं को सामान बेच सके।
कैसे किया गया यह संचालन
ईडी का मानना है कि कंपनी ने एक ऐसा व्यापार मॉडल अपनाया, जिसमें दिखाया गया कि वे थोक में व्यापार कर रहे हैं, जबकि हकीकत में यह सीधा खुदरा उपभोक्ताओं तक सामान पहुंचाने का नेटवर्क था। इस व्यवस्था को इस तरह डिजाइन किया गया कि वह कानूनी नजरों से बचे रह सके, लेकिन जब एजेंसी को विश्वसनीय जानकारी मिली तो इस पूरे तंत्र की जांच शुरू की गई।
1654 करोड़ रुपये का मामला कैसे बना
फेमा के तहत जो केस दर्ज हुआ है उसमें यह सामने आया है कि विदेशी निवेशकों से 1654 करोड़ रुपये का निवेश इस मॉडल के जरिए लिया गया। यह निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत तय शर्तों के अनुरूप नहीं था। कुछ खास क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति नहीं होती या उसमें सीमाएं तय की गई होती हैं। मिंत्रा ने इन्हीं नियमों को दरकिनार करते हुए निवेश लिया।
एफडीआई नीति की किन बातों का हुआ उल्लंघन
एफडीआई नियमों के मुताबिक मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष उपभोक्ताओं को सामान बेचने के लिए विदेशी निवेश की अनुमति सीमित है और वह भी कुछ शर्तों के साथ दी जाती है। मिंत्रा पर आरोप है कि उसने 'थोक व्यापार' के नाम पर एफडीआई की मंजूरी ली, लेकिन असल में कारोबार मल्टी ब्रांड खुदरा का था।
कंपनी के निदेशकों पर भी नजर
जांच एजेंसियों की नजर अब मिंत्रा और उससे जुड़ी कंपनियों के निदेशकों पर है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि इस पूरे मॉडल की योजना किसने बनाई, निवेश कैसे लाया गया, किस स्तर पर फैसले लिए गए और कौन-कौन लोग इसमें शामिल रहे। आगे चलकर जिम्मेदार अधिकारियों पर जुर्माने या अन्य सख्त कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कब और कैसे दर्ज हुआ मामला
मामला बुधवार को आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया। इसके तहत फेमा की धारा 16 की उपधारा 3 के अंतर्गत कार्यवाही शुरू की गई है। यह वही धारा है जिसके तहत विदेशी मुद्रा से जुड़े गंभीर मामलों में जांच और कार्रवाई की जाती है। एजेंसी का दावा है कि उसे मिंत्रा की गतिविधियों को लेकर ठोस और विश्वसनीय जानकारी मिली थी।
ई-कॉमर्स कंपनियों पर पहले भी लगे हैं ऐसे आरोप
यह पहला मौका नहीं है जब किसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी पर एफडीआई नियमों को लेकर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी कई ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म्स पर इसी तरह की जटिल कारोबारी संरचना के जरिए विदेशी निवेश नियमों को दरकिनार करने के आरोप लगे हैं। ईडी ने साफ किया है कि ऐसे मामलों में नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
ईडी का क्या कहना है
ईडी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह पूरा ढांचा प्रत्यक्ष उपभोक्ता खुदरा पर लगे एफडीआई प्रतिबंधों से बचने के लिए बनाया गया था। इसका मतलब है कि कंपनी ने अपनी योजना इस तरह से बनाई कि वह दिखावे में तो नियमों के दायरे में रहे लेकिन असल में नियमों को तोड़ रही थी।