आने वाले दिनों में स्मार्टफोन खरीदना आम लोगों के लिए थोड़ा भारी पड़ सकता है। इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का मानना है कि स्मार्टफोन की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की बढ़ती मौजूदगी। अब ज्यादातर स्मार्टफोन, खासकर फ्लैगशिप मॉडल, AI से लैस हो रहे हैं और इसके लिए हाई-परफॉर्मेंस चिपसेट और मेमोरी मॉड्यूल की जरूरत होती है। यही वजह है कि स्मार्टफोन बनाना कंपनियों के लिए पहले से ज्यादा महंगा हो गया है।
चिपसेट और मेमोरी की लागत में तेजी से इजाफा
स्मार्टफोन में AI की खूबियों को पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए एडवांस चिपसेट और ज्यादा मेमोरी की जरूरत होती है। यही तकनीक स्मार्टफोन को तेज, स्मार्ट और पावरफुल बनाती है, लेकिन इसकी कीमत भी ज्यादा है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट नील शाह के मुताबिक, चिपसेट और उससे जुड़ी मेमोरी यूनिट की लागत काफी तेजी से बढ़ रही है। कंपनियां जब फ्लैगशिप फोन के लिए नई तकनीक और एडवांस नोड्स का इस्तेमाल करती हैं, तो निर्माण लागत काफी बढ़ जाती है।
फ्लैगशिप फोन सबसे ज्यादा होंगे प्रभावित
बढ़ती लागत का सीधा असर उन फोनों पर दिखेगा, जिनमें सबसे ज्यादा तकनीकी खूबियां दी जाती हैं यानी फ्लैगशिप मॉडल। ये वो स्मार्टफोन होते हैं जिनकी कीमत 30 हजार रुपये से ऊपर होती है। अभी तक कंपनियां किसी तरह अपनी लागत को एडजस्ट करके कीमतों को स्थिर रखे हुए थीं, लेकिन अब ऐसा करना मुश्किल होता जा रहा है। जानकारों का मानना है कि कंपनियों के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं, और उन्हें मजबूरी में इन फोन की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी।
मिड-रेंज स्मार्टफोन पर भी असर पड़ सकता है
AI अब सिर्फ महंगे स्मार्टफोन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मिड-रेंज फोनों में भी इसकी एंट्री हो चुकी है। 20 से 30 हजार रुपये के बीच आने वाले फोनों में भी अब जेनेरेटिव AI जैसे फीचर दिए जा रहे हैं। चिपसेट कंपनियां जैसे मीडियाटेक और क्वालकॉम इस दिशा में लगातार काम कर रही हैं। हालांकि, जानकारों का कहना है कि अगर इन फोनों की लागत भी बढ़ी तो इसका बोझ सीधे ग्राहकों पर पड़ेगा, जिससे इस कैटेगरी की बिक्री पर असर पड़ सकता है।
ग्राहक होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित
अगर कीमतें बढ़ती हैं, तो सबसे ज्यादा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा जो हर साल या दो साल में नया फोन खरीदते हैं। पहले से ही भारत का स्मार्टफोन बाजार थोड़ा सुस्त है। ऐसे में अगर कीमतें बढ़ती हैं तो बड़ी संख्या में लोग या तो अपनी खरीदारी टाल सकते हैं या फिर सस्ते विकल्पों की तलाश कर सकते हैं।
कंपनियां कर रही हैं लागत कम करने की कोशिश
मीडियाटेक के सीनियर डायरेक्टर थॉमस सीएच ने माना है कि स्मार्टफोन में बेहतर परफॉर्मेंस देने के लिए लागत बढ़ रही है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ग्राहक प्रीमियम फीचर्स के लिए ज्यादा कीमत देने को तैयार हैं। कंपनियां अपनी ओर से लागत को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रही हैं, ताकि कीमतों में बहुत ज्यादा इजाफा न करना पड़े।
प्रीमियम फोन लेने वालों को पड़ेगा ज्यादा खर्च करना
जो लोग 30 हजार रुपये से ऊपर के स्मार्टफोन लेना चाहते हैं, उन्हें आने वाले समय में और ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं। AI फीचर के चलते इन फोन में नए प्रोसेसर, बड़ी रैम और ज्यादा स्टोरेज जैसे एलिमेंट्स दिए जा रहे हैं, जिनकी वजह से ये फोन्स और महंगे हो रहे हैं। ग्राहक अगर लेटेस्ट फीचर्स वाला स्मार्टफोन चाहते हैं तो उन्हें अपनी जेब पहले से ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है।
डॉलर-रुपया की चाल भी बन रही कारण
सिर्फ तकनीकी वजहें ही नहीं, बल्कि आर्थिक कारण भी स्मार्टफोन की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं। इंटरनैशनल डेटा कॉरपोरेशन (IDC) की रिसर्च मैनेजर उपासना जोशी के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी चिपसेट की कीमतों पर असर डाल रही है। जब रुपया कमजोर होता है तो चिपसेट और अन्य जरूरी पार्ट्स की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिसका सीधा असर निर्माण लागत पर पड़ता है।
भारत में स्मार्टफोन बाजार पहले से सुस्त
भारत में बीते कुछ समय से स्मार्टफोन की बिक्री में तेजी नहीं देखी गई है। बजट फोन की कैटेगरी में पहले से ही प्रतिस्पर्धा है और ग्राहकों की जेब पर इसका असर दिख रहा है। ऐसे में अगर कीमतें और बढ़ती हैं तो बाजार और कमजोर हो सकता है। फ्लैगशिप के साथ-साथ मिड-रेंज और लो-कॉस्ट फोन भी अगर महंगे होते हैं तो आम उपभोक्ता को नई खरीदारी करने में सोचना पड़ेगा।