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MP में लाखों परिवारों के घर होंगे बड़े! जानिए नई री-डेवलपमेंट पॉलिसी का असर

MP में लाखों परिवारों के घर होंगे बड़े! जानिए नई री-डेवलपमेंट पॉलिसी का असर

मध्य प्रदेश के लाखों परिवारों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। लंबे समय से छोटे और सीमित क्षेत्रफल वाले घरों में रह रहे लोगों को अब बड़ा और बेहतर घर मिलने का रास्ता साफ हो रहा है। मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड (एमपीएचआइडीबी) ने अपनी री-डेवलपमेंट नीति में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के लोगों को अब एलआईजी (लो इनकम ग्रुप) और एमआईजी (मिडिल इनकम ग्रुप) फ्लैट का विकल्प मिलेगा।

350 की जगह अब 550 से 600 वर्गफीट के होंगे घर

पिछले कई वर्षों से 350 से 400 वर्गफीट के छोटे मकानों में रहने वाले परिवारों को अब 550 से 600 वर्गफीट के नए मकान की सुविधा मिल सकती है। हाउसिंग बोर्ड की इस नई योजना में निवासियों को पुराने परिसर में ही बड़ा फ्लैट चुनने की छूट दी जाएगी। हालांकि, अतिरिक्त क्षेत्रफल के लिए तयशुदा नियमों के अनुसार भुगतान करना होगा।

20 प्रतिशत तक बड़ा मकान देने की योजना

री-डेवलपमेंट नीति में बोर्ड ने 20 प्रतिशत तक बड़े घर देने का प्रस्ताव भी रखा है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी निवासी का वर्तमान मकान 350 वर्गफीट का है, तो उसे नया फ्लैट 420 वर्गफीट तक का मिल सकता है। इस प्रस्ताव को लेकर शासन को भेजा गया है और मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा।

बढ़ते परिवारों की जरूरतों पर केंद्रित बदलाव

हाउसिंग बोर्ड के अनुसार, जनसुनवाई और फीडबैक से यह बात सामने आई है कि छोटे घरों में रह रहे परिवार अब अधिक स्थान की मांग कर रहे हैं। मौजूदा समय में परिवारों की संरचना और आवश्यकताओं में बदलाव आया है। पहले जिन घरों में चार लोग रहते थे, अब वहां छह से आठ सदस्य हो गए हैं। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की देखरेख और अन्य घरेलू ज़रूरतों के चलते अतिरिक्त जगह की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

निवासियों को मिलेगी पुराने परिसर में ही सुविधा

हाउसिंग बोर्ड इस बात को सुनिश्चित करेगा कि पुनर्विकास परियोजनाओं के तहत लोगों को अपने पुराने परिसर में ही आवास का विकल्प मिले। इससे उन्हें नए स्थान पर जाकर बसने की परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा। प्रोजेक्ट इंचार्ज जितेंद्र गौतम ने बताया कि लोग अपने मौजूदा स्थान से जुड़े होते हैं और वे वहीं रहकर ही बेहतर घर चाहते हैं। यही मांग बार-बार सामने आने के कारण अब नई पॉलिसी तैयार की गई है।

पुरानी कॉलोनियों को मिलेगा नया रूप

री-डेवलपमेंट नीति के बदलाव से न केवल निवासियों को फायदा होगा, बल्कि इससे राज्य की पुरानी कॉलोनियों और जर्जर इमारतों का कायाकल्प भी हो सकेगा। बोर्ड की योजना है कि पुराने मकानों को तोड़कर नई तकनीक से बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी, जिनमें आधुनिक सुविधाएं भी शामिल की जाएंगी। इससे न केवल आवास की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि जमीन के बेहतर उपयोग का रास्ता भी खुलेगा।

बोर्ड करेगा निजी डेवलपर्स से प्रतिस्पर्धा

मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड की यह योजना बाजार में मौजूद निजी डेवलपर्स को भी चुनौती देगी। अब तक सरकारी योजनाओं को सीमित दायरे में देखा जाता था, लेकिन इस बदलाव के बाद हाउसिंग बोर्ड नए खरीदारों को भी आकर्षित करने की स्थिति में आ सकता है। एमआईजी फ्लैट्स के विकल्प से मध्यम वर्ग भी सरकारी योजनाओं की ओर रुख कर सकता है।

नई पॉलिसी का असर पूरे राज्य में

हाउसिंग बोर्ड की योजना सिर्फ एक या दो शहरों तक सीमित नहीं रहेगी। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि जिन भी शहरों या कस्बों में पुरानी कॉलोनियां मौजूद हैं और वहां पुनर्विकास की गुंजाइश है, वहां यह नीति लागू की जाएगी। इससे राज्यभर में लाखों लोग लाभान्वित हो सकते हैं।

अभी 600 वर्गफीट तक की हो सकती है सीमा

बोर्ड के अफसरों की मानें तो फ्लैट का आकार अधिकतम 600 वर्गफीट तक हो सकता है। यह आकार खासतौर पर उन परिवारों के लिए उपयुक्त रहेगा जिनके पास पहले से 350 या 400 वर्गफीट का घर है। यदि कोई निवासी और बड़ा फ्लैट चाहता है, तो उसे मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार मूल्य चुकाना होगा।

पुराने घर से नए घर तक की प्रक्रिया होगी आसान

बोर्ड का लक्ष्य है कि मौजूदा निवासियों को उनके पुराने घर के बदले नया आवास इस तरह दिया जाए कि उन्हें असुविधा न हो। मकान तोड़े जाने से पहले उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था दी जाएगी और निर्माण पूरा होने के बाद उन्हें नए फ्लैट में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

लोगों की मांग पर आधारित है प्रस्ताव

यह पूरा बदलाव लोगों की मांग और उनके अनुभवों के आधार पर तैयार किया गया है। जिन लोगों ने लंबे समय तक छोटे घरों में जीवन बिताया है, वे अब अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने का हक रखते हैं। बोर्ड के अनुसार यह नीति न सिर्फ ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए बदलाव लाएगी, बल्कि शहरों की आवासीय छवि को भी नया रूप देगी।

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