भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन योगदानकर्ताओं के प्रमुखों के सम्मेलन (UNTCC 2025) के दौरान नेपाली सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप जंग, एसीओएएस (Assistant Chief of Army Staff) से मुलाकात की।
नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों के प्रमुखों के सम्मेलन (यूएनटीसीसी) के दौरान नेपाली सेना के लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप जंग, एसीओएएस से मुलाकात की। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रशिक्षण सहित कई व्यापक मुद्दों पर चर्चा की और दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच स्थायी साझेदारी को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया।
इससे पहले मंगलवार को जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि भारत में इस सम्मेलन की मेजबानी न केवल सौभाग्य की बात है, बल्कि यह वैश्विक शांति के मिशन को और मजबूत करने में सहायक है।
भारत-नेपाल रक्षा सहयोग पर गहन बातचीत
भारतीय सेना के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय (ADGPI) ने एक्स (X) पर साझा की गई जानकारी में बताया कि बैठक में दोनों सैन्य प्रमुखों ने संयुक्त प्रशिक्षण पहलों को बढ़ावा देने, रक्षा संवादों को नियमित करने और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच संबंध “आपसी सम्मान, विश्वास और साझा मूल्यों” पर आधारित हैं, जो क्षेत्रीय स्थिरता और शांति को बढ़ावा देते हैं।
जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल जंग ने यह भी माना कि आधुनिक वैश्विक सुरक्षा वातावरण में सीमा-पार सहयोग और प्रशिक्षण का आदान-प्रदान बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों की सेनाओं ने अपने साझा इतिहास, भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक संबंधों के चलते दशकों से मजबूत सैन्य साझेदारी बनाए रखी है।
यूएनटीसीसी सम्मेलन की सफल मेजबानी
नई दिल्ली में 14 से 16 अक्टूबर 2025 तक आयोजित UNTCC प्रमुखों के सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हुए। भारत द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, शांति अभियानों के नए मानकों और सहयोग के आधुनिक तरीकों पर चर्चा की गई। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि “भारत में इस सम्मेलन की मेजबानी न केवल एक सम्मान की बात है, बल्कि यह वैश्विक शांति मिशन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।” उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन का उद्देश्य शांति अभियानों के दौरान देशों के बीच सहयोग, संसाधनों के आदान-प्रदान और नई रणनीतियों को विकसित करना है।
भारत और नेपाल के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में पारंपरिक रूप से घनिष्ठ सहयोग रहा है। दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के साथ नियमित संयुक्त अभ्यास, आपदा राहत अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि “भारत-नेपाल के रक्षा संबंध आपसी विश्वास, सम्मान और समान सुरक्षा हितों पर आधारित हैं।”
यह मुलाकात न केवल दोनों सेनाओं के बीच संवाद को नया आयाम देती है, बल्कि हिमालयी क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता की दिशा में भी अहम योगदान देती है।
विकास के लिए शांति आवश्यक: राजनाथ सिंह
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी देशों को संबोधित करते हुए कहा कि “भारत विश्व की नियम-आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने कहा कि कुछ देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करते हैं, लेकिन भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (विश्व एक परिवार है) की भावना के प्रति समर्पित है। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि “विकास, समृद्धि और स्थायी प्रगति के लिए शांति अनिवार्य है।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता देशों में से एक है। अब तक भारत ने कुल 71 मिशनों में से 51 मिशनों में अपनी भागीदारी दर्ज कराई है और लगभग 3 लाख सैनिकों, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, को वैश्विक शांति के लिए भेजा है।